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कुतुब मीनार परिसर में कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद पर विवाद में कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

साकेत जिला कोर्ट में याचिका भगवान विष्णु और जैन देवी देवताओं की ओर से दाखिल की गई है. वकील विष्णु शंकर जैन इस केस को लड़ रहे हैं.

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याचिका भगवान विष्णु और जैन देवी देवताओं की ओर से दाखिल की गई है. (फाइल)
याचिका भगवान विष्णु और जैन देवी देवताओं की ओर से दाखिल की गई है. (फाइल)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • संस्कृति मंत्रालय, ASI और दिल्ली सर्कल से जवाब मांगा
  • भगवान विष्णु और जैन देवी देवताओं की ओर से दाखिल याचिका

कुतुब मीनार परिसर में 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर बनाई गई कुव्वत-उल-इस्लाम मस्ज़िद पर दावा करने वाली याचिका पर साकेत जिला अदालत ने नोटिस जारी कर सरकार से जवाब मांगा है. एडीजे पूजा तलवार ने इस मामले में याचिकाकर्ता के वकील की दलीलें सुनने के बाद केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक और दिल्ली सर्कल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका भगवान विष्णु और जैन देवी देवताओं की ओर से दाखिल की गई है जिनके मंदिर तोड़े गए थे.

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इस मामले में जैन देवी देवताओं और भगवान विष्णु के वकील विष्णु शंकर जैन ने दलील दी कि इस मामले में इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है कि मंदिरों को ध्वस्त किया गया था. लिहाजा इसको साबित करने की जरूरत नहीं है. पिछले 800 से ज्यादा सालों से हम पीड़ित हैं. अब पूजा का अधिकार मांग रहे हैं, जो कि हमारा मूल अधिकार है. एएसआई एक्ट 1958 की धारा 18 के मुताबिक संरक्षित स्मारकों में भी उपासना पूजा का अधिकार दिया जा सकता है.

'800 से ज्यादा सालों से हम पीड़ित'

- पिछली सुनवाई के दौरान 24 दिसंबर 2020 को कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह बताने का निर्देश दिया था कि भक्त की हैसियत से याचिका दाखिल करने का क्या औचित्य है? कोर्ट ने पूछा था कि ये बताइए कि क्या कोर्ट ट्रस्ट के गठन का आदेश दे सकता है? सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील हरिशंकर जैन ने कोर्ट से कहा था कि इस मामले में इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है कि मंदिरों को ध्वस्त किया गया था. लिहाजा, इसको साबित करने की जरूरत नहीं है. पिछले 800 से ज्यादा सालों से हम पीड़ित हैं. अब पूजा का अधिकार मांग रहे हैं, जो कि हमारा मूल अधिकार है. जैन ने कहा था कि वहां पिछले 800 साल से नमाज नही पढ़ी गई है. मस्जिद के तौर पर इसका इस्तेमाल ही नहीं हुआ है.

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- जैन ने अपनी दलीलों के समर्थन में वहां मौजूद लौह स्तम्भ, भगवान विष्णु और दूसरे आराध्य देवी देवताओं की खण्डित मूर्तियों का हवाला दिया था. सुनवाई के दौरान वकील विष्णु जैन ने कहा था कि ये राष्ट्रीय शर्म का विषय है. देशी विदेशी तमाम लोग वहां हमारी सांस्कृतिक विरासत को निहारने पहुंचते हैं. लेकिन वहां सिर्फ मूर्तियां ही नहीं, बल्कि खंडित संस्कृति दिखती है. क्योंकि वहां भव्य कलात्मक मूर्तियों के खंडित रूप दिखते हैं. हमारा मकसद अब वहां किसी विध्वंस के लिए कोर्ट को आश्वस्त करना नहीं है. हम सिर्फ अपना पूजा का अधिकार चाहते हैं.

- तब जज नेहा शर्मा ने पूछा था कि आप पूजा का अधिकार मांग रहे हैं, लेकिन वो जगह तो एएसआई के कब्जे में हैं, तो एक दूसरे तरीके से आप जमीन पर कब्जा मांग रहे हैं. इस पर हरिशंकर जैन ने कहा था कि हां, वैसे तो हम जमीन पर अपना मालिकाना हक नहीं मांग रहे हैं. बिना मालिकाना हक दिए भी पूजा का अधिकार दिया जा सकता है.

- सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि आपके इस याचिका को दायर करने का क्या औचित्य है और किस हक से आप याचिका दायर कर रहे हैं? तब याचिकाकर्ता ने कहा था हमने देवता और भक्त दोनों ओर से याचिका दायर की है. एक भक्त के याचिका दायर करने के अधिकार को सुप्रीम कोर्ट ने भी मान्यता दी है. आप मेरे अधिकार को खारिज नहीं कर सकते हैं. 

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- याचिका पहले जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव, भगवान विष्णु की ओर से हरिशंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री और जितेंद्र सिंह बिसेन ने दायर की है. इसमें कहा गया है कि दिल्ली सल्तनत के पहले मुस्लिम शासक कुतुबद्दीन ऐबक ने 27 हिन्दू और जैन मंदिरों की जगह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद बना दी. ऐबक मंदिरों को पूरी तरह से नष्ट नहीं कर सका और मंदिरों के मलबे से ही मस्जिद का निर्माण किया गया.

- याचिका में कहा गया है कि कुतुब मीनार परिसर के दीवारों, खंभों और छतों पर हिन्दू और जैन देवी-देवताओं के चित्र बने हुए हैं. इन पर भगवान गणेश, विष्णु, यक्ष, यक्षिणी. द्वारपाल. भगवान पार्श्वनाथ. भगवान महावीर, नटराज के चित्रों के अलावा मंगल कलश, शंख, गदा, कमल, श्रीयंत्र, मंदिरों के घंटे इत्यादि के चिह्न मौजूद हैं. ये सभी बताते हैं कि कुतुब मीनार परिसर में हिन्दू और जैन मंदिर थे. याचिका में कुतुब मीनार को ध्रुव स्तंभ बताया गया है.

- अदालत में दायर याचिका में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के उस संक्षिप्त इतिहास का जिक्र किया गया है, जिसमें कहा गया है कि 27 मंदिरों को गिराकर उनके ही मलबे से कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण किया गया है. याचिका में मांग की गई है कि इन 27 मंदिरों को पुनर्स्थापित करने का आदेश दिया जाए और कुतुब मीनार परिसर में हिन्दू रीति-रिवाज से पूजा करने की इजाजत दी जाए.

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