scorecardresearch
 

अब्दुल्ला आजम केसः जन्म प्रमाण पत्र मामले की SC में सुनवाई, सिब्बल की दलील- दस्तावेज नहीं होते तथ्यों के सबूत

यूपी सरकार के पूर्व मंत्री आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम के जन्म प्रमाण पत्र से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें दीं. कपिल सिब्बल ने कोर्ट में सबूत को लेकर भी दलील दी और ये कहा कि दस्तावेज, तथ्यों के सबूत नहीं होते. उन्होंने ये भी कहा कि स्कूल रिकॉर्ड में लिखी जन्मतिथि जन्म का प्रमाण नहीं हो सकती.

Advertisement
X
अब्दुल्ला आजम (फाइल फोटो)
अब्दुल्ला आजम (फाइल फोटो)

समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री आजम खान के पुत्र अब्दुल्ला आजम जन्म प्रमाण पत्र से जुड़े मामले में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं. अब्दुल्ला आजम को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में ही यूपी की पिछली विधानसभा में अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी थी. अब ये मामला देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में है.

Advertisement

अब्दुल्ला आजम के खिलाफ जन्म प्रमाण पत्र से जुड़े मामले में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी. कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दस्तावेज तथ्यों का सबूत नहीं होते हैं. स्कूल रिकॉर्ड में लिखी जन्मतिथि जन्म का प्रमाण नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि स्कूल के ट्रांसफर सर्टिवेफट को भी जन्म प्रमाण का सबूत नहीं माना जा सकता है और उसको कोर्ट में सबूत के रूप में पेश नहीं किया जा सकता है.

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने साथ ही ये भी कहा कि हालांकि पासपोर्ट को जन्म प्रमाण पत्र का सबूत माना जा सकता है. कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्होंने किसी भी दस्तावेज की जांच नहीं की और उस पर अपनी राय बना ली. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने सिर्फ याचिकाकर्ता की दलीलों को आधार मानकर अपनी एक राय बना ली. 

Advertisement

समाजवादी पार्टी से राज्यसभा के सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि बिना किसी वजह के हाईकोर्ट ने अर्चना देवी की ओर से पेश किए गए असली जन्म प्रमाण को भी खारिज कर दिया. इसमें लखनऊ के अस्पताल में पैदाइश की बात कही गई थी. उन्होंने कहा कि वहीं, रजिस्ट्रार की ओर से पेश किए गए असली जन्म प्रमाण को लेकर बिना किसी जांच के ही हाईकोर्ट ने कह दिया कि इससे छेड़छाड़ की गई थी.

गौरतलब है कि अब्दुल्ला आजम साल 2017 के विधानसभा चुनाव में विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे. अब्दुल्ला आजम के निर्वाचन के बाद ये मामला कोर्ट पहुंचा और याचिकाकर्ता की ओर से उनकी उम्र पर सवाल उठाए गए. याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया था कि नामांकन के समय, चुनाव के समय और चुनाव के नतीजे जिस दिन आए, अब्दुल्ला आजम की आयु 25 साल से कम थी.

Advertisement
Advertisement