भारत में अवैध घुसपैठियों को लेकर सरकारें एक्शन मोड में हैं. केंद्र के साथ-साथ कई राज्यों की सरकारें भी लगातार अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को डिपोर्ट करने का काम कर रही हैं. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस कार्रवाई का डेटा मांगा है. कोर्ट ने कहा है कि उन्हें जानकारी दी जाए कि आखिर कितने विदेशी नागरिकों को अब तक डिपोर्ट किया जा चुका है और कितने अभी डिटेंशन सेंटर में हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,'हिरासत केंद्रों में बंद व्यक्तियों के बारे में जानकारी दीजिए. हमें बताएं कि उन व्यक्तियों के लिए क्या नीति है, जिन्हें विदेशी घोषित किया गया है, लेकिन उनकी राष्ट्रीयता नहीं मालूम है. ऐसे लोगों को उचित सुविधाएं असम राज्य को हर 15 दिन में हिरासत केंद्रों/ट्रांजिट कैंपों का दौरा करने के लिए अधिकारियों की समिति गठित करनी चाहिए.'
असम के केंद्र को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि इतने सालों के बाद भी अवैध विदेशी घोषित किए गए लोगों को निर्वासित करने में देरी क्यों हो रही है? SC ने कहा,'ऐसे 'अवैध विदेशी' लोगों का ब्यौरा दें, जिनकी वास्तविक राष्ट्रीयता ज्ञात है और उन्हें निर्वासित करें. यह भी बताएं कि ऐसे लोगों के लिए क्या नीति है जिनकी राष्ट्रीयता ज्ञात नहीं है?' सुप्रीम कोर्ट ने उचित जानकारी न देने और हलफनामे पर विवरण न देने के लिए असम के केंद्र को फटकार लगाई.'
'हिरासत में रखना अधिकारों का उल्लंघन'
सर्वोच्च अदालत ने आगे कहा,'लोगों को अनिश्चित काल तक हिरासत केंद्रों में नहीं रखा जा सकता. निर्वासन के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया? विदेशियों के रूप में पहचाने गए लोगों को निर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू की जाए, हमें बताएं कि उन लोगों के लिए क्या नीति है जिनकी मूल राष्ट्रीयता अज्ञात है. डिटेंशन कैंप/ट्रांजिट कैंप में अनिश्चित काल तक हिरासत में रखना मूल अधिकारों का उल्लंघन है.'