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दिल्ली सरकार और एलजी के बीच हर विवाद शीर्ष अदालत में क्यों आना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

डीसीपीसीआर ने अपने फंड को कथित तौर पर रोके जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "क्या हो रहा है, दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच हर विवाद, अनुच्छेद 226 याचिका के रूप में आ रहा है."

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और एलजी के बीच के विवाद के हर मामले आने को लेकर टिप्पणी की
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और एलजी के बीच के विवाद के हर मामले आने को लेकर टिप्पणी की

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) के बीच का हर विवाद शीर्ष अदालत में क्यों आना चाहिए? साथ ही कोर्ट ने कहा दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) से कहा कि वह अपनी शिकायत के साथ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएं. दरअसल, डीसीपीसीआर ने अपने फंड को कथित तौर पर रोके जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "क्या हो रहा है, दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच हर विवाद, अनुच्छेद 226 याचिका के रूप में आ रहा है."

संविधान का अनुच्छेद 226 कुछ रिट जारी करने की उच्च न्यायालयों की शक्ति से संबंधित है.

पीठ ने गुरुवार को दिल्ली सरकार की उस याचिका पर विचार किया, जिसमें डीटीसी बसों में मार्शल के रूप में काम करने वाले सभी नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की सेवाओं को समाप्त करने के एलजी वीके सक्सेना के फैसले को चुनौती दी गई थी.

पीठ ने डीसीपीसीआर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन से कहा, "दिल्ली हाईकोर्ट जाएं. हमें यहां (अनुच्छेद) 32 के तहत याचिका पर विचार क्यों करना चाहिए."

शंकरनारायणन ने कहा कि आयोग द्वारा दायर याचिका दिल्ली सरकार और एलजी के बीच अब तक शीर्ष अदालत में आए अन्य विवादों से थोड़ी अलग है. उन्होंने कहा, ''यह एक आयोग है और आयोग का पैसा रोक दिया गया है.''

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सीजेआई ने उन्हें बताया कि शीर्ष अदालत ने व्यापक संवैधानिक मुद्दों से संबंधित याचिकाओं पर विचार किया है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "अब हाईकोर्ट जाएं."

शंकरनारायणन ने अपना तर्क रखते हुए कहा कि आयोग के फंड को रोका नहीं जा सकता. उन्होंने कहा, ''राज्य के छह करोड़ बच्चों को यह कैसे बताया जा सकता है कि आयोग के पास एक पैसा भी नहीं आएगा.''

पीठ ने उनसे कहा, ''इसीलिए हाईकोर्ट हैं'' और पूछा, ''आप दिल्ली हाईकोर्ट पर दबाव क्यों डाल रहे हैं?''

सीजेआई ने कहा, "दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच हर दो दिन में यहां बात हो रही है. बस मार्शल योजना बंद कर दी गई और हमें (अनुच्छेद) 32 के तहत एक याचिका मिली."

शंकरनारायणन ने कहा कि डीसीपीसीआर एक स्वतंत्र आयोग है और इसके सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो गया है. उन्होंने कहा कि फिलहाल आयोग नये सिरे से उच्च न्यायालय जाने की स्थिति में नहीं है.

पीठ ने कहा, "डीसीपीसीआर द्वारा इस अदालत के समक्ष संबोधित की जा रही शिकायत की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, हमारा विचार है कि अनुच्छेद 226 के तहत एक याचिका उचित उपाय होगी."

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