सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को पुलिस और सत्ता के गठजोड़ पर चिंता जताते हुए इसे परेशान करने वाला ट्रेंड बताया. सीजेआई एनवी रमणा (CJI NV Ramana) ने कहा, पुलिस अफसरों और सत्ताधारी पार्टी के बीच गठजोड़ परेशान करने वाला है. और जब सरकारें बदलती हैं, तो पुलिस अफसरों पर कार्रवाई की जाती है.
सीजेआई रमणा ने ये टिप्पणी आईपीएस गुरजिंदर पाल सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए की. छत्तीसगढ़ के आईपीएस गुरजिंदर पाल पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया है. उन्होंने राजद्रोह की धारा- 124A को हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'पुलिस अफसर सत्ता में मौजूद राजनीतिक पार्टी का फेवर लेते हैं और उनके विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं. बाद में जब विरोधी सत्ता में आते हैं तो पुलिस अफसरों पर कार्रवाई होती है. ये परेशान करने वाला ट्रेंड है. इसे रोकने की जरूरत है.'
सीजेआई रमणा ने आगे कहा, 'जब सरकार बदलती है तो पुलिस अफसरों को ऐसे आरोपों का सामना करना पड़ता है. ये देश में नया चलन है.' उन्होंने कहा, 'इस सबके लिए खुद पुलिस अफसरों को ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. उनको कानून के शासन पर टिके रहना चाहिए.'
छत्तीसगढ़ के निलंबित आईपीएस अफसर गुरजिंदर पाल सिंह पर इसी साल जुलाई में राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था. उनके ऊपर आय से ज्यादा संपत्ति रखने का आरोप है. अपने ऊपर दर्ज राजद्रोह का केस हटाने की मांग करते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.
सुनवाई के दौरान गुरजिंदर पाल सिंह की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने कहा, 'ये आय से अधिक संपत्ति का मामला है. उनके पास कमाई से 9 गुना ज्यादा संपत्ति है.' वहीं, छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा, 'याचिकाकर्ता अभी फरार है और 124A के तहत FIR अभी निष्फल है. उन्हें राहत देने का कोई कारण नहीं बनता.'
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने गुरजिंदर पाल सिंह को राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर 4 हफ्तों की रोक लगा दी है. साथ ही सीनियर एडवोकेट द्विवेदी से कहा कि गुरजिंदर पाल सिंह जांच में सहयोग करें. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस भी जारी किया है.