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कोविड डेथ सर्टिफिकेट और मुआवजे को लेकर केंद्र सरकार से नाराज सुप्रीम कोर्ट!

कोरोना से होने वाली मौतों पर सही वक्त पर मृत्यु प्रमाण पत्र न देने और मुआवजा को लेकर कोई नीति न होने की वजह से, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर नाराजगी जाहिर की है.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो-PTI)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कोविड सर्टिफिकेट मिलने में हो रही है देरी
  • मुआवजे को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं तैयार
  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछे सवाल

कोरोना संक्रमण की वजह से हो रही मौत के मामलों में मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के लिए लोगों को जूझना पड़ रहा है. मृत्यु प्रमाण पत्र और मुआवजो पर केंद्र की स्पष्ट नीति न होने की वजह से, सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कोविड से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई हो रही थी.

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जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र को संबोधित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को मुआवजा और डेथ सर्टिफिकेट के केस में पहले ही आदेश दिया था. अब कोरोना की तीसरी लहर की आशंका हर दिन नजदीक आती जा रही है.  

एसएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट से कहा कि हमें खेद है कि हम हलफनामा दाखिल नहीं कर पाए हैं. कोर्ट केंद्र सरकार को 10 दिन की और मोहलत दे दे. इस मुद्दे पर सरकार लगातार विशेषज्ञों से परामर्श ले रही है. याचिकाकर्ता वकील गौरव बंसल ने कहा है कि सरकार को कोर्ट का सम्मान करना चाहिए.

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सुप्रीम कोर्ट की अवमानना उचित नहीं!

गौरव बंसल ने कहा कि ऐसी अवमानना और लापरवाही कतई उचित नहीं है, जब मामला इतना गंभीर हो. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में पहले ही सरकार को निर्देशित किया था कि ऐसी प्रक्रियाओं का पालन जल्द से जल्द कर दिया जाए. 

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टीकाकरण में सामने आ रहे हैं लापरवाही के मामले

वहीं दक्षिण कर्नाटक के सलिया तालुका में एक अलग तरह का केस सामने आया है. एक शख्स को कुछ ही मिनटों के अंतर पर कोविशील्ड वैक्सीन के दोनों डोज लगा दिए गए हैं. शख्स की उम्र महज 19 साल है. शख्स को ऑब्जर्वेशन के लिए रखा गया है. 

कुछ ही मिनटों में लगी दोनों वैक्सीन!

अधिकारियों के मुताबिक कोविन का सर्वर डाउन था. पहली डोज लगने के थोड़ी देर बाद ही शख्स को वैक्सीन की दूसरी डोज दे दी गई. शख्स का मानना था कि कहीं यात्रा करने क लिए वैक्सीन की 2 डोज लगवाना अनिवार्य है. शख्स को 2 से 3 घंटे तक निगरानी में रखा गया. हालांकि उसके स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा डॉक्टरों की उन पर नजर बनी हुई थी.
 

 

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