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'कीमती समय बर्बाद हो गया', रेप पीड़िता के गर्भपात से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

25 साल की दुष्कर्म पीड़िता ने गुजरात हाई कोर्ट से गर्भपात कराने की अनुमति मांगी थी. लेकिन हाई कोर्ट से पीड़िता को अनुमति न हीं मिल सकी. इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट किया. सुप्रीम कोर्ट ने अब एक मेडिकल टीम को महिला की जांच के गठित किया है, जो सोमवार को अपनी रिपोर्ट सैंपेगा.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

दुष्कर्म के बाद गर्भपात से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के रवैये पर चिंता जाहिर की. उच्चतम अदालत ने कहा कि मामले के लंबित होने के कारण कीमती समय बर्बाद हो गया. अब अदालत ने मेडिकल बोर्ड से ताजा रिपोर्ट मांगी है. यानी पीड़िता की एक बार फिर जांच की जाएगी. इसके बाद सोमवार को नई रिपोर्ट अदालत में पेश की जाएगी.

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बता दें कि दुष्कर्म पीड़िता 25 साल की है. उसने गर्भपात की मंजूरी के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी, जिस पर आनन-फानन में सुनवाई की गई. पीड़िता का दावा है कि चार अगस्त को गर्भ का पता चला. सात अगस्त को कोर्ट में अर्जी लगाई गई. कोर्ट ने बोर्ड बनाया. 11 अगस्त को रिपोर्ट आई. बोर्ड हमारी दलील के समर्थन में था. लेकिन हाईकोर्ट ने सरकार की नीति के हवाले से अर्जी खारिज कर दी.

नोटिस भेजकर मांगा गया जवाब

कोर्ट ने कहा कि आपने 10 अगस्त से अब तक बहुत सारा बहुमूल्य समय नष्ट कर दिया है. कोर्ट ने नोटिस किया गुजरात सरकार, भरूच मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट सहित सभी पक्षकारों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा. गुजरात सरकार के वकील ने नोटिस रिसीव किए.

किसी ने समय पर नहीं दिया ध्यान

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कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि हर दिन अनमोल था. 11 अगस्त को ही रिपोर्ट आ गई थी. लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. 17 अगस्त को याचिका बिना कोई कारण बताए खारिज कर दी गई. अब तक आदेश अपलोड नहीं किया गया है. सेक्रेटरी जनरल को निर्देश दिया गया है कि गुजरात हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से इस मामले में तहकीकात करे.

कोर्ट ने खेद के साथ की टिप्पणी

गुजरात सरकार की वकील स्वाति घिल्डियाल से कोर्ट ने सीधे सवाल पूछा कि आखिर इतने संवेदनशील मामले में इतने दिन कैसे खराब हुए. कोर्ट ने कहा कि हमें खेद है कि हमें ऐसी टिप्पणी करनी पड़ रही है. वहीं, पीड़िता के वकील ने कहा कि गर्भावस्था के 25 वें हफ्ते में कोर्ट गए थे. लेकिन एक के बाद एक दिन निकल गए. सोमवार के बाद 28 वां हफ्ता शुरू हो जाएगा. पीड़िता की मेडिकल जांच हो. कल शाम 6 बजे तक कोर्ट ने रिपोर्ट मांगी. सोमवार को पहले मुकदमे के तौर पर सुनवाई.

26 हफ्ते की गर्भवती है पीड़िता

दरअसल, रेप पीड़िता 26 हफ्ते की गर्भवती है. वह गर्भपात कराने की इजाजत चाहती है. इसकी मांग करते हुए उसने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी. लेकिन हाईकोर्ट ने सारी कहानी सुनने के बाद उसे मेडिकल जोखिम के आधार पर गर्भपात कराने की इजाजत नहीं दी.

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सुप्रीम कोर्ट करेगा अंतिम फैसला

गुजरात हाईकोर्ट के इस आदेश को चुनौती देते हुए रेप पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. कानून के मुताबिक 24 हफ्ते से ज्यादा के गर्भ को गिराने की इजाजत मेडिकल विशेषज्ञों की राय के बगैर नहीं दी जा सकती है. लेकिन मामला मानवीय संवेदना और कानूनी पहलुओं से जुड़ा है लिहाजा अब सुप्रीम फैसला करेगा कि क्या किया जाय!

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