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पटाखों पर SC की टिप्पणी- रोजगार की आड़ में मासूमों के जीने के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकते

पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की मांग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ लोगों के रोजगार की आड़ में मासूम लोगों के जीने के अधिकार के उल्लंघन की इजाजत नहीं दी सकती.

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सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर पहले भी कई आदेश दिए हैं. (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर पहले भी कई आदेश दिए हैं. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की मांग
  • बुधवार को भी होगी SC में सुनवाई

पटाखों को लेकर इस बार भी सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण के लिए दिवाली के पटाखों को जिम्मेदार ठहराते हुए इन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने कहा कि पटाखों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कई आदेश जारी किए हैं, लेकिन उनका सरेआम उल्लंघन किया जाता है. इसलिए कोर्ट में तीन अवमानना याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिन पर मंगलवार को सुनवाई है. इस मामले में बुधवार को भी सुनवाई होगी.

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मंगलवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा, 'पाबंदी के बावजूद चुनाव जीतने के बाद जश्न के लिए जमकर पटाखे जलाए जाते हैं. जिनकी जिम्मेदारी है आदेश लागू कराने की, वही सब कुछ जानते-समझते उल्लंघन कराते हैं. हजार नहीं दसियों हजार बार ऐसे उल्लंघन होता है.'


...इंडस्ट्री में लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे!

पटाखों के निर्माता संघ की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट आत्माराम नाडकर्णी ने कहा कि याचिकाओं पर सुनवाई की जानी चाहिए, लेकिन ये भी ध्यान दिया जाएगा कि इंडस्ट्री में लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि 4 नवंबर को दिवाली है और पटाखों को लेकर पेट्रोलियम एंड एक्स्प्लोसिव सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (PESO) कोई फैसला करे.

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने कहा कि कुछ लोगों के रोजगार की आड़ में दूसरे लोगों के जीने के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हमें रोजगार, बेरोजगारी और लोगों के जीने के अधिकार के बीच संतुलन बनाना होगा. कुछ लोगों के रोजगार की आड़ में हम दूसरे लोगों के जीने के अधिकार का उल्लंघन करने की इजाजत नहीं दे सकते.'

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कोर्ट ने कहा, 'हमारा फोकस लोगों के जीने के अधिकार पर है. अगर एक्सपर्ट ग्रीन पटाखों को मंजूरी देते हैं तो हम आदेश जारी करेंगे.' कोर्ट ने कहा कि कानून तो बने हैं लेकिन उन्हें ठीक तरीके से लागू किए जाने की जरूरत है.

'पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध जारी रहना चाहिए'

वहीं, याचिकाकर्ता अर्जुन गोपाल की ओर से पेश हुए वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण दिवाली के दौरान पटाखे होते हैं. ऐसे में पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध जारी रहना चाहिए. उन्होंने कहा, 'पटाखों की ऑनलाइन सेल, पटाखों का निर्माण, लाइसेंस और लेबलिंग इन मुद्दों पर अदालत ने आदेश दिए गए हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों के बावजूद पटाखों के निर्माण और यातायात को लेकर उल्लंघन जारी है.' उन्होंने ये भी कहा कि 'पटाखे नशीले पदार्थ नहीं हैं कि कोई इसे बाथरूम में बंद होकर धूम्रपान की तरह कर लेगा. ये सजा का डर न होने की वजह से चल रहा है.' 

पांच तरह के ग्रीन पटाखों की मंजूरी है, लेकिन...

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र ने भी अदालत के आदेशों को गंभीरता से नहीं लिया. जबकि पिछले साल पूरे देश में प्रतिबंध के आदेश का अनुपालन कराने का आश्वासन दिया था. शंकरनारायण ने कहा, 'हर धार्मिक आयोजन, जुलूस, शादियों में हम इन आदेशों की धज्जियां उड़ते देख सकते हैं. हमें जिम्मेदारी तय करनी होगी, नहीं तो ये कभी नहीं रुकेगा.' शंकरनारायण ने कहा कि सिर्फ पांच तरह के ग्रीन पटाखों की मंजूरी है, लेकिन बाजार में तमाम तरह के पटाखे खुलेआम धड़ल्ले से बिक रहे हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने से तो इनकार कर दिया था, लेकिन ये जरूर आदेश दिया था कि पटाखों की बिक्री केवल लाइसेंस प्राप्त दुकानों से ही हो सकेगी और केवल ग्रीन पटाखे ही बिकेंगे. हालांकि, शंकरनारायण ने कहा कि देश में अभी भी 300 से ज्यादा पटाखे बिक रहे हैं. अब इस मामले में बुधवार को भी सुनवाई होगी.

 

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