सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को किसान प्रदर्शन (Farmers Protest) के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब मामला अदालत में है तो फिर प्रदर्शन क्यों किया जा रहा है? इस पर किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि वो सिर्फ कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, बल्कि एमएसपी की मांग भी कर रहे हैं.
जस्टिस एमएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, 'एक ओर आप कोर्ट में याचिका दायर कर इंसाफ मांगने आए हैं और दूसरी ओर विरोध प्रदर्शन भी जारी है. राजस्थान हाईकोर्ट में भी याचिका दायर कर रखी है आपने. हम चाहते हैं कि दोनों याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई हो. क्योंकि राजस्थान हाईकोर्ट में इन कानूनों की वैधता को चुनौती दी गई है.' कोर्ट ने सवाल किया, 'जब मामला अदालत में है तो आप प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?'
इस पर किसान महापंचात के वकील अजय चौधरी ने कहा, 'हमारा प्रदर्शन कानूनों के खिलाफ ही नहीं है, बल्कि हम एमएसपी भी मांग रहे हैं.' इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अगर याचिकाकर्ता की ओर से कानून को एक कोर्ट मे चुनौती दी गई है तो फिर क्या मामला अदालत में लंबित रहते हुए विरोध प्रदर्शन की इजाजत दी जा सकती है? प्रदर्शन की इजात मांगने का क्या औचित्य नहीं है?'
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अब आप एक रास्ता चुनें. कोर्ट का, संसद का या सड़क पर प्रदर्शन का.' इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि वो कानून वापस नहीं लेगी. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा, 'बातचीत के रास्ते खुले हैं. कोर्ट में याचिका भी है. अब इनको तय करना है कि इन्हें क्या करना है.'
आगे सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हमने तीनों कृषि कानूनों के लागू होने पर रोक लगा रखी है. कुछ भी लागू नहीं है. तो किसान किस बारे में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं? अदालत के अलावा और कोई भी कानूनों की वैधता तय नहीं कर सकता. जब किसान अदालत में कानूनों को चुनौती दे रहे हैं तो सड़क पर प्रदर्शन क्यों?'
जब हुआ लखीमपुर खीरी की घटना का जिक्र
इसी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में लखीमपुर खीरी (Lahkhimpur Kheri) में हुई घटना का जिक्र भी हुआ. कोर्ट में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल (KK Venugopal) ने बताया कि 'कल लखीमपुर खीरी में हिंसा हुई. 8 लोगों की मौत हो गई. इस तरह विरोध नहीं हो सकता.' इस पर कोर्ट ने कहा, 'जब आंदोलन के दौरान कोई हिंसा होती है. सार्वजनिक संपत्ति नष्ट होती है तो कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. जान और माल की हानि होती है तो कोई जिम्मेदारी नहीं लेता.' इसके बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehta) ने कहा, 'जब मामला पहले से ही अदालत में है तो लोग सड़कों पर नहीं उतर सकते.'
आखिरी में कोर्ट ने कहा कि आपके विरोध करने का अधिकार बिल्कुल सही है लेकिन आपने अपनी बात कोर्ट में रख दी है. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट में दाखिल याचिका को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है. इस मामले में अब अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी.