2020 में हुए बिहार विधानसभा के चुनाव को लेकर दायर याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट से बीजेपी को राहत मिली. चुनाव लड़ रहे आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास और कारनामे सार्वजनिक ना करने पर कोर्ट के आदेश की अवमानना का दोषी ठहराते हुए एक लाख रुपये जुर्माना का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने वापस लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि पार्टी ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अनदेखी और अवज्ञा नहीं की थी.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 27 जनवरी 2023 को बीजेपी के महासचिव बीएल संतोष द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका पर भारत निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था. आयोग ने अपने जवाब में इस मामले में अपनी टीम की जांच रिपोर्ट भी संलग्न की थी. आयोग के जवाब से संतुष्ट होकर कोर्ट ने जुर्माना माफ कर दिया है. साथ ही अपना आदेश भी वापस ले लिया.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने बीजेपी महासचिव बीएल संतोष की ओर से दाखिल पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट के आदेश की अवमानना और लगाये गए जुर्माने का आदेश वापस ले लिया.
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन जारी करते हुए कहा था कि नाम घोषित होने के 48 घंटे के भीतर ही उम्मीदवारों के खिलाफ अगर कोई आपराधिक मुकदमा लंबित हो तो उसकी पूरी जानकारी पार्टी अपनी वेबसाइट के मुख्य पेज और सूचना माध्यमों यानी अखबार आदि के जरिए सार्वजनिक करे. फिर दो हफ्तों के अंदर भी और चुनाव प्रचार बंद होने से 48 घंटे पहले भी वही प्रक्रिया दोहराई जाए.