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कोरोना से हुई मौत का प्रमाणपत्र, मुआवजा के लिए गाइडलाइन बनाए सरकार: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना संक्रमित मरीज के खुदकुशी करने के मामले में मौत का कारण कोरोना न मानने के फैसले पर भी सरकार को फिर से विचार करने के लिए कहा है.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा
  • कोर्ट ने कुछ मामलों पर फिर से विचार करने को कहा

देशभर में कोरोना संक्रमण के कारण जान गंवाने वालों के परिजनों को मौत की वजह का प्रमाणपत्र जारी करने और मुआवजा देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 23 सितंबर तक गाइड लाइन जारी कर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना संक्रमित मरीज के खुदकुशी करने के मामले में मौत का कारण कोरोना न मानने के फैसले पर भी सरकार को फिर से विचार करने के लिए कहा है.

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. गाइडलाइन में कुछ मुद्दे हैं जिन पर सरकार फिर से विचार करे. अब इस मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी.

अब तक केंद्र सरकार के रुख से साफ है कि कोरोना संक्रमण की जांच के लिए स्वैब नमूने लेने की तारीख या कोरोना मामले (Covid-19 Cases) में चिकित्सकीय रूप से निर्धारित तारीख से 30 दिन के अंदर होने वाली मौत को ही कोरोना के कारण होने वाली मौत माना जाएगा. केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में यह बात कह चुकी है.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कोरोना से संबंधित मौत के लिए आधिकारिक दस्तावेज जारी करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं. कोरोना से हुई मौत पर डेथ सर्टिफिकेट (Covid Death Certificate) जारी करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी जिसके बाद केंद्र ने हलफनामा दाखिल किया.

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केंद्र सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि भले ही रोगी की मृत्यु अस्पताल में या फिर इन-पेशेंट सुविधा के तहत हुई हो अगर संक्रमित अस्पताल या इन-पेशेंट सुविधा में 30 दिन से अधिक समय तक भर्ती रहता है और फिर उसकी मौत हो जाती है तो उसे भी कोरोना के कारण मौत माना जाएगा.

साथ ही केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को ये भी बताया कि जहर, आत्महत्या, हत्या और दुर्घटना के कारण होने वाली मौतों को कोरोना से हुई मौत नहीं माना जाएगा. भले ही कोरोना इसके साथ हो. दिशा-निर्देशों के मुताबिक कोरोना के उन मामलों पर विचार किया जाएगा जिनका निदान आरटी-पीसीआर परीक्षण, आणविक परीक्षण, रैपिड-एंटीजन परीक्षण के माध्यम से किया गया है या किसी अस्पताल या इन-पेशेंट सुविधा में जांच के जरिए डॉक्टर की ओर से निर्धारित किया गया है.

रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया जारी करेंगे दिशा-निर्देश

केंद्र के मुताबिक कोरोना के मामले जो हल नहीं हुए हैं या अस्पताल में, घर पर ही मौत हुई और जहां फॉर्म 4 और 4 ए में मेडिकल सर्टिफिकेट ऑफ कॉज ऑफ डेथ (एमसीसीडी) पंजीकरण प्राधिकारी को जारी किया गया है, जन्म और मृत्यु पंजीकरण (आरबीडी) अधिनियम 1969 की धारा 10 के तहत आवश्यक, दिशानिर्देशों के अनुसार, एक कोरोना के कारण मृत्यु माना जाएगा. रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया इस संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य रजिस्ट्रारों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेंगे.

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जस्टिस एमआर शाह ने लगाई थी फटकार

इन दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि ऐसे मामलों में जहां एमसीसीडी उपलब्ध नहीं है या फिर मृतक के परिजन एमसीसीडी में दी गई मौत के कारण से संतुष्ट नहीं हैं और जो इसके दायरे में नहीं आते हैं, ऐसे मामलों को लेकर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश जिला स्तर पर एक समिति का गठन करेंगे. दरअसल, पिछली सुनवाई में जस्टिस एमआर शाह ने केंद्र को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा था कि सरकार जब तक कदम उठाएगी तब तक तो तीसरी लहर भी बीत चुकी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने 11 सितंबर तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था.

 

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