सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बेहद अहम सुनवाई हुई. दो राज्यों की राज्य सरकार और उनके राज्यपाल के बीच चले आ रहे विवाद पर बहस के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने बेहद सख्त टिप्पणियां कीं. दरअसल, ये मामला तमिलनाडु और केरल से जुड़ा है. दोनों राज्यों की सरकार का आरोप है कि राज्यपाल उनकी विधानसभा में पास हो चुके बिलों को पारित करने में देरी कर रहे हैं. इस मुद्दे को लेकर तमिलनाडु और केरल की सरकारें सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी हैं, जिस पर सोमवार को सुनवाई हुई.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने इस मुद्दे पर सुनवाई की. तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई करते समय अदालत ने जनवरी 2020 से लंबित राज्य सरकार से पारित हो चुके विधेयकों को पास करने में देरी करने पर राज्यपाल से सवाल किए. राज्यपाल की तरफ से हुई इस देरी पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गवर्नर की निष्क्रियता चिंता का विषय है.
आदेश जारी होने तक नहीं लिया एक्शन
सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि तमिलनाडु के राज्यपाल एन रवि ने लंबित विधेयकों पर तब कार्रवाई की, जब 10 नवंबर को पंजाब सरकार से जुड़े मामले में आदेश जारी किया गया. यानी राज्यपाल ने तब एक्शन लिया, जब कोर्ट ने नोटिस जारी किया. अदालत ने इस बात पर चिंता जाहिर की कि यह बिल 2020 से लंबित पड़े थे तो फिर राज्यपाल तीन साल से क्या कर रहे थे? उन्हें पार्टी के सुप्रीम कोर्ट जाने का इंतजार क्यों करना पड़ा?
'किस राज्यपाल ने देरी की यह मुद्दा नहीं'
अदालत के इन सवालों पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने स्पष्ट किया कि वर्तमान राज्यपाल ने नवंबर 2021 में ही पदभार संभाला है. इस जवाब पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुद्दा यह नहीं है कि क्या किसी विशेष राज्यपाल ने देरी की है, बल्कि मुद्दा यह है कि क्या सामान्य तौर पर संवैधानिक कार्यों को करने में देरी हुई है.
AG बोले- पुनर्विचार करने की जरूरत
अदालत ने यह भी कहा कि राज्यपाल ने 10 विधेयकों को रोकने का फैसला किया, जो चिंता का विषय है. इस पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने जवाब दिया कि विवाद केवल उन विधेयकों से संबंधित है, जो राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति से संबंधित हैं और राज्यपाल की शक्तियों को छीनने का प्रयास करते हैं. इस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है.
23 महीने पुराने विधेयक भी पेंडिंग
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार की याचिका पर भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा. केरल सरकार की तरफ से पूर्व AG केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राज्यपाल ने कुछ अहम विधेयकों पर अब तक फैसला नहीं किया है. उन्होंने कहा राज्यपाल ने अब तक तीन विधेयकों पर हस्ताक्षर किए हैं. जबकि 7 से 23 महीने पहले विधानसभा से पास हो चुके 8 विधेयक अभी भी लंबित हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को तुरंत दखल देना चाहिए. केरल सरकार ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पर विधानसभा से पारित बिलों पर कार्यवाही नहीं करने और विधेयकों को दबाकर बैठे रहने का आरोप लगाया.
'रोक रखे हैं कल्याणकारी बिल'
केरल सरकार ने याचिका में कहा है कि विधेयकों को लंबे समय तक और अनिश्चित काल तक लंबित रखने का राज्यपाल का आचरण मनमानी है. यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का भी उल्लंघन है. राज्य सरकार के मुताबिक उन्होंने लोगों के लिए कल्याणकारी बिल पारित किए हैं, जिसे राज्यपाल ने रोक रखा है.
तीन जजों की पीठ ने की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के कार्यालय से राज्य सरकार की याचिका पर जवाब मांगा. इस याचिका पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने की. इस मामले में अब अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.