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समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने पर 13 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट 13 मार्च को सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट, केरल हाईकोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट में लंबित अर्जियों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ही 13 मार्च को सुनवाई करेगा. जबकि सरकार को अपना हलफनामा 15 फरवरी तक दाखिल करना होगा. 

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चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट, केरल हाईकोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने की गुहार वाली अर्जियों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया. 

इस दौरान एनके कौल ने कहा कि सभी मामले सुप्रीम कोर्ट में सुने जाएं. क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के पास स्वत: संज्ञान शक्ति है. वहीं सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए रेडी था. वहीं, एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि याचिकाकर्ता भी हम सभी की तरह हैं.

चीफ जस्टिस ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि इस दौरान इस मामले से जुड़े सभी पक्षकारों के वकीलों के साथ एक मीटिंग करें और सभी मुद्दों पर विचार करें. उससे सुनवाई में आसानी होगी. चुनौती हिंदू विवाह अधिनियम के मुताबिक दी जाएगी या विशेष विवाह अधिनियम के आधार पर.

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सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश दिया कि कई हाईकोर्ट में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने को लेकर अर्जियां लंबित हैं, लिहाजा सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि सभी हमारे पास आ जाएं, ताकि उनका एक साथ निपटारा हो सके. 

पक्षकारों ने कहा कि केरल, गुजरात, दिल्ली और केरल हाईकोर्ट में भी याचिकाएं लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम याचिकाकर्ताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपना पक्ष रखने की आजादी देते हैं. 

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