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सुप्रीम कोर्ट ने किया ओवर टाइम, दशहरे की छुट्टियों से पहले निपटाया काम, रात 9:10 बजे तक चली मामलों की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट के जजों ने एक बार फिर मिसाल पेश की. दशहरे की छुट्टियों से पहले शुक्रवार को आखिरी कार्य दिवस था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमों की सुनवाई छुट्टी से लौटने के बाद करने के बजाए आज की करना ठीक समझा. पीठ 10 घंटे 40 मिनट तक बैठी. इस दौरान उसने करीब 75 मामलों की सुनवाई की.

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सुप्रीम कोर्ट ने दशहरे की छुट्टियों से पहले देर रात रुककर मामलों की सुनवाई की (सांकेतिक तस्वीर)
सुप्रीम कोर्ट ने दशहरे की छुट्टियों से पहले देर रात रुककर मामलों की सुनवाई की (सांकेतिक तस्वीर)

सुप्रीम कोर्ट में काम करने का तरीका बदलता हुआ दिखाई दे रहा है. खुद जज पहल कर कोर्ट की कार्यशैली को लगातार बेहतर बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं. ऐसा ही कुछ शुक्रवार को देखने को मिला.

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सुप्रीम कोर्ट में आज रात 9:10 बजे तक सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट में लगभग 75 मामलों की हुई सुनवाई. आम दिनों में शाम चार से पांच बजे तक न्यायिक कार्यवाही समाप्त हो जाती है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने रात 9:10 तक की सुनवाई. मामले की सुनवाई खत्म होने के बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सभी स्टाफ का धन्यवाद भी किया.

पीठ ने 10 घंटे 40 मिनट तक की सुनवाई की

पीठ ने 10 घंटे 40 मिनट तक की मुकदमों की सुनवाई की. दरअसल दशहरे की छुट्टियों से पहले शुक्रवार को आखिरी कार्य दिवस था. आज मुकदमे की सुनवाई लटकने का मतलब था लंबा इंतजार, इसलिए पीठ ने देर रात तक रुककर काम निपटाने का फैसला किया यानी उसने आज ओवर टाइम किया.

अगस्त में शाम  6:45 बजे तक की थी सुनवाई

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पिछले महीने 16 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने शाम पौने सात यानी 6:45 बजे तक सुनवाई की थी. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने इतनी देर सुनवाई की थी. दरअसल पीठ कुछ मामलों की सुनवाई कर रही थी, जो नियमित घंटों से आगे निकल गई थी.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने 12 अगस्त को कोर्ट रूम में अतिरिक्त बैठकों की बात की थी. उन्होंने कहा था कि कोर्ट रूम में सुनवाई के बाद न्यायाधीशों को आमतौर पर चैंबर में काम करना जारी रखना पड़ता है और इस तरह का काम कभी कभी देर तक बढ़ जाता है.

सीजेआई ने सुबह साढ़े नौ बजे शुरू कर दी थी सुनवाई

नए मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 15 जुलाई को सुबह 9:30 बजे से सुनवाई शुरू कर दी थी. आमतौर पर बैठक सुबह 10:30 बजे शुरू होती है.

तब इस व्यवस्था की सराहना करने वाले सीनियर वकील मुकुल रोहतोगी से जस्टिस ललित ने कहा था, 'अगर हमारे बच्चे सुबह 7 बजे स्कूल जा सकते हैं तो हम जज के तौर पर 9 बजे से काम क्यों नहीं कर सकते?'' जस्टिस ललित ने कहा, "मैं हमेशा सुबह 9 बजे काम शुरू करने और फिर 11 बजे कॉफी पीने के बाद दिन के लिए 2 बजे तक काम करने के पक्ष में हूं.'

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