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दिल्लीः केरल के जर्नलिस्ट कप्पन की जमानत याचिका पर SC ने यूपी सरकार को दिया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने केरल के जर्नलिस्ट सिद्दीकी कप्पन की जमानत याचिका के मामले में सोमवार को सुनवाई की. सर्वोच्च न्यायायल ने इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है. दरअसल, कप्पन के खिलाफ यूपी पुलिस ने  UAPA के तहत अपराधिक साजिश मुकदमा दर्ज कराया है. सोमवार को देश के नए चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस आर भट्ट की पीठ ने मामले की सुनवाई की.

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SC ने केरल के जर्नलिस्ट कप्पन की जमानत याचिका पर सुनवाई की (फाइल फोटो)
SC ने केरल के जर्नलिस्ट कप्पन की जमानत याचिका पर सुनवाई की (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की जमानत याचिका के मामले में सोमवार को सुनवाई की. सर्वोच्च न्यायायल ने इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है. दरअसल, यूपी सरकार ने कप्पन पर हाथरस मामले में साजिश रचने पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया था.

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देश के नए चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस आर भट्ट की पीठ ने केरल के जर्नलिस्ट कप्पन की याचिका पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट में जर्नलिस्ट कप्पन की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलीलें दीं. कपिल सिब्बल ने कहा कि कप्पन का किसी भी संगठन से रिश्ता नहीं है. वह पत्रकार है और 6 अक्तूबर 2020 से जेल में है. इस पर CJI ने पूछा कि वहीं गरिमा प्रसाद ने यूपी सरकार की ओर से दलीलें दीं. कोर्ट अब इस मामले में 9 सितंबर को फैसला सुनाएगा.

सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने कहा कि आरोप है कि PFI ने कप्पन के अकाउंट में 45000 रुपये जमा किए. लेकिन इसका कोई भी सबूत नहीं है. उन्होंने कहा कि कप्पन एक पत्रकार है, उसका पीएफआई से कोई संबंध नहीं है. वह कुछ समय पहले एक ऐसे अखबार में काम करता था, जिसका पीएफआई से संबंध था.

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यूपी सरकार की ओर से पेश हुईं गरिमा प्रसाद ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में 8 आरोपी हैं, वे सभी सलाखों के पीछे हैं. सिर्फ एक ड्राइवर को रिहा किया गया है. चार्जशीट दाखिल कर दी गई है. इनमें एक आरोपी दिल्ली दंगों में शामिल था, दूसरा बुलंदशहर दंगों में शामिल था. जबकि एक आरोपी जिसे जमानत दी गई थी, वह अदालत में पेश नहीं हो रहा है. उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है, इसलिए सुनवाई में देरी हो रही है. हम पहले ही मामले में आरोप पत्र दाखिल कर चुके हैं.

गरिमा प्रसाद ने कहा कि कप्पन को जेल में रखने के लिए हमारे पास पर्याप्त कारण हैं. इसके बाद कोर्ट ने यूपी सरकार को हलफनामे के माध्यम से सभी तथ्यों को पेश करने के आदेश दिए. इस महीने की शुरुआत में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कप्पन की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी.
 

क्या है मामला

दरअसल, कप्पन के खिलाफ यूपी पुलिस ने  UAPA के तहत अपराधिक साजिश मुकदमा दर्ज कराया है. यूएपीए और राजद्रोह जैसे सख्त कानूनों के तहत गिरफ्तार जर्नलिस्ट कप्पन ने मथुरा कोर्ट में जमानत की याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन निराशा हो हाथ लगी.

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कप्पन को कब किया गया था गिरफ्तार

हाथरस रेप कांड के बाद कानून व्यवस्था में गड़बड़ी पैदा करने के आरोप में पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को मथुरा पुलिस ने 5 अक्टूबर 2020 को उस समय गिरफ्तार किया था, जब वह दलित लड़की के परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए हाथरस के गांव जा रहे थे. 

क्या कहा था कप्पन की बेटी ने

पिछले दिनों कप्पनी की नौ साल की बेटी मेहनाज ने स्वतंत्रता दिवस पर एक भाषण दिया था, जो खूब वायरल हुआ. उसे अपने भाषण में कहा- मैं मेहनाज कप्पन हूं. पत्रकार सिद्दीक कप्पन की बेटी, भारत का ऐसा नागरिक, जिसकी स्वतंत्रता छीनकर उसे एक अंधेरे कमरे में रहने को मजबूर किया गया है. मेहनाज ने कहा कि हम जिस स्वतंत्रता का आनंद लेते हैं, वह संघर्ष का परिणाम है. भारतीय नागरिकों की स्वतंत्रता उनसे नहीं छीनी जानी चाहिए.

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