सुप्रीम कोर्ट ने हज और उमराह सेवाओं के लिए GST पर छूट की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें कि निजी टूर ऑपरेटर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि हज और उमराह पर जाने वाले तीर्थयात्रियों से जुड़ी सेवाओं पर GST में छूट दी जानी चाहिए.
फैसला जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिया है. फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है.
इससे पहले 2020 में हज विभाग इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया ने मांग की थी कि हज सहित विभिन्न तीर्थयात्रियों को जीएसटी सहित सभी करों से छूट दी जाए और हज यात्रियों के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की शर्त भी हटा दी जाए.
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के प्रमुख मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा था कि यह एक छोटी सी मांग है. उन्होंने यह भी कहा था कि इस तरह के लाभ सभी धर्मों के तीर्थयात्रियों के लिए दिए जाने चाहिए. महली ने इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की सभी सिफारिशों के साथ सरकार को एक पत्र भेजा था.
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया ने सरकार से तीन मांगों पर जोर दिया था. उन्होंने कहा था कि हज यात्रा दिन-ब-दिन महंगी होती जा रही है, इसलिए इसे सस्ता करने के लिए विकल्पों की तलाश की जानी चाहिए. दूसरी मांग यह थी कि हज यात्रा और अन्य धार्मिक यात्राओं के लिए जीएसटी और सभी प्रकार के करों को हटाया जाना चाहिए. वहीं, तीसरा मांग हाजियों के लिए आयकर रिटर्न भरने की शर्त समाप्त करने की थी.
कैसे की जाती है हज यात्रा
हाजी हज के लिए धुल-हिज्जा के सातवें दिन मक्का पहुंचते हैं. हज यात्रा के पहले चरण में हाजियों को इहराम बांधना होता है. इहराम दरअसल बिना सिला हुआ कपड़ा होता है, जिसे शरीर पर लपेटना होता है. इस दौरान सफेद कपड़ा पहनना जरूरी है. हालांकि, महिलाएं अपनी पसंद का कोई भी सादा कपड़ा पहन सकती है लेकिन हिजाब के नियमों का पालन करना चाहिए.
हज के पहले दिन हाजी तवाफ (परिक्रमा) करते हैं. तवाफ का मतलब है कि हाजी सात बार काबा के चक्कर काटते हैं. ऐसी मान्यता है कि यह उन्हें अल्लाह के और करीब लाता है. इसके बाद सफा और मरवा नाम की दो पहाड़ियों के बीच सात बार चक्कर लगाए जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि पैगंबर इब्राहिम की पत्नी हाजिरा अपने बेटे इस्मायल के लिए पानी की तलाश में सात बार सफा और मरवा की पहाड़ियों के बीच चली थीं.यहां से हाजी मक्का से आठ किलोमीटर दूर मीना शहर इकट्ठा होते हैं. यहां पर वे रात में नमाज अदा करते हैं.
हज के दूसरे दिन हाजी माउंट अराफात पहुंचते हैं, जहां वे अपने पापों को माफ किए जाने को लेकर दुआ करते हैं. इसके बाद, वे मुजदलिफा के मैदानी इलाकों में इकट्ठा होते हैं. वहां पर खुले में दुआ करते हुए एक और रात बिताते हैं.हज के तीसरे दिन जमारात पर पत्थर फेंकने के लिए दोबारा मीना लौटते हैं. दरअसल जमारात तीन पत्थरों का एक स्ट्रक्चर है, जो शैतान और जानवरों की बलि का प्रतीक है.
दुनियाभर के अन्य मुस्लिमों के लिए यह ईद का पहला दिन होता है. इसके बाद हाजी अपना मुंडन कराते हैं या बालों को काटते हैं.इसके बाद के दिनों में हाजी मक्का में दोबारा तवाफ और सई करते हैं और फिर जमारत लौटते हैं.मक्का से रवाना होने से पहले सभी हाजियों को हज यात्रा पूरी करने के लिए आखिरी बार तवाफ करनी पड़ती है.