इंडियन प्रीमियर लीग के पूर्व प्रमुख ललित मोदी ने सोशल मीडिया पोस्ट में पूर्व अटॉर्नी जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी. इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्ष इतने परिपक्व हैं कि इस तरह की टिप्पणियां नही करनी चाहिए. इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों को मामला सुलझाने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने कहा कि यह कुछ और नहीं, बल्कि परिवार के किसी सदस्य द्वारा गुस्से का इजहार करने जैसा है. इसे लंबा मत खींचिए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब भी आप सार्वजनिक रूप से लड़ना शुरू करते हैं, तो यह हमेशा हानिकारक होता है. हम आदेश पारित नही कर रहे हैं.
मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में घिरे ललित मोदी ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर रोहतगी की एक तस्वीर शेयर करते हुए लंबा पोस्ट लिखा था. ललित मोदी ने मुकुल रोहतगी को संबोधित पोस्ट में लिखा था कि वो वकीलों की गोष्ठी में गॉसिप करने के शौकीन हैं ये उन्हें पता है, लेकिन उस गॉसिप में मुझे भगोड़ा कहने से बचें. मेरी चर्चा करनी है तो मिस्टर मोदी कहकर संबोधित करें. अगली बार आपसे इतनी शालीनता और नरमी से नहीं कहूंगा.
ललित मोदी ने इंस्टाग्राम पर लिखा था कि आदरणीय मिस्टर रोहतगी जी, क्योंकि मैंने कभी आपका इस्तेमाल नहीं किया. मेरे पास आपका नंबर नहीं था. मेरे मन में आपके लिए हमेशा सम्मान है, लेकिन आपके पास केवल तिरस्कार है. मेरा विनम्र विनम्र अनुरोध है कि अपने जीवन में कभी भी मुझे भगोड़ा कहने से बचें. आप एक शॉर्ट टर्म वकील हो सकते हैं और इस तरह यह पेशा आपको कॉमेडियन बनाता है. अगर कोई अदालत ऐसा कहती तो मैं कुछ नहीं कहता. सीधे कह रहा हूं मैं दोबारा विनम्रता से नहीं कहूंगा.
पिछले साल एक अगस्त को IPL के पूर्व प्रमुख ललित मोदी और उनकी मां बीना मोदी से जुड़े एक पारिवारिक संपत्ति विवाद को निपटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरवी रवीन्द्रन को मध्यस्थ के लिए नियुक्त किया था. जबकि मुकुल रोहतगी संपत्ति विवाद में बीना मोदी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.
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