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'यह किस तरह की याचिका है?' भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यह किस तरह की याचिका है? इसमें तो कई तरह की मांग की गई हैं, जिनका आपस में कोई जुड़ाव नहीं है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि याचिका में हेट स्पीच, रिया चक्रवर्ती, नरसंहार, अदालत के भूतपूर्व प्रधान न्यायाधीशों तक को मुद्दा बनाया गया है. जनहित याचिका में एक मुद्दा होता है.

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सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

देश में अल्पसंख्यक समुदायों के विरुद्ध बढ़ते भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यह किस तरह की याचिका है? इसमें तो कई तरह की मांग की गई हैं, जिनका आपस में कोई जुड़ाव नहीं है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि याचिका में हेट स्पीच, रिया चक्रवर्ती, नरसंहार, अदालत के भूतपूर्व प्रधान न्यायाधीशों तक को मुद्दा बनाया गया है. जनहित याचिका में एक मुद्दा होता है.

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पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता का यह दावा सही हो सकता है कि भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने की जरूरत है, क्योंकि वह देश में माहौल दूषित कर रहे हैं. याचिकाकर्ता हरप्रीत मनसुखानी ने कोर्ट में अपने मामले पर खुद दलील देते हुए आरोप लगाया कि ऐसे भाषणों के विरुद्ध सरकारी अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. याचिकाकर्ता मनसुखानी ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई नेताओं को पक्षकार बनाया है.

धार्मिक यात्राओं को लेकर याचिका खारिज

CJI ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोर्ट कैसे धार्मिक यात्राओं के लिए कोई दिशा निर्देश जारी कर सकता है? क्योंकि हमारे देश में वैसे ही तमाम तरह की शोभा यात्राएं निकलती हैं. दरअसल, सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि देशभर में अलग-अलग धर्मों की शोभायात्रा के दौरान कई हिंसक घटनाएं हुई हैं. भविष्य में धार्मिक जुलूस और शोभा यात्रा के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो इसके लिए सुप्रीम कोर्ट दिशा निर्देश जारी करें.

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इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर कोई घटना होती है तो इसके लिए सरकार है. क्योंकि लॉ एंड आर्डर राज्य का विषय होता है. अगर राज्य सरकार नियम के विरुद्ध जाकर कोई शोभा यात्रा की इजाजत देती है तो यह मामला कोर्ट के संज्ञान में आ सकता है. याचिकाकर्ता ने कहा कि वो अपनी अर्जी वापस लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करना चाहते हैं. लेकिन CJI ने साफ इनकार करते हुए कहा कि नहीं हम इस याचिका को यहीं खारिज करेंगे. 

जबरन धर्मांतरण के खिलाफ याचिका में पक्षकार बनने की अर्जी

सुप्रीम कोर्ट में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ दाखिल याचिका में पक्षकार बनने की मांग वाली अर्जी भी दाखिल हुई. भारत के योजना आयोग की पूर्व सदस्य, डॉ सैयदा हमीद ने जबरन धर्मांतरण को संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन बताते हुए वकील अश्विनी उपाध्याय की मूल याचिका में पक्षकार बनाए जाने की मांग की है. डॉ सैयदा हमीद ने भड़काऊ भाषण की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए दखिल अपनी याचिका में कहा है कि भावना भड़काऊ भाषण और धर्म की स्वतंत्रता के बीच एक आंतरिक संबंध है.

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