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सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को रद्द करने के फैसले पर पुनर्विचार से किया इनकार

मराठा आरक्षण के मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने 5 मई 2021 का आरक्षण रद्द करने का फैसला बरकरार रखा है. इसके साथ ही मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दी हैं. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने चेंबर में विचार कर फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मराठा आरक्षण मामले में रिव्यू पेटिशन भी खारिज की है.

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मराठा आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. (फाइल फोटो)
मराठा आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को रद्द करने के फैसले पर पुनर्विचार से इनकार कर दिया है. SC ने 5 मई 2021 को आरक्षण रद्द करने का अपना फैसला बरकरार रखा है. कोर्ट ने गुरुवार को पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दी हैं. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है. बेंच ने कहा कि रिकॉर्ड पर कोई त्रुटि नहीं मिली है, जिससे मामले पर फिर से विचार करने की जरूरत हो. इस मामले में 11 अप्रैल को चेंबर सुनवाई के दौरान संविधान पीठ ने खारिज किया है.

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सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की संविधान पीठ ने अर्जी खारिज की है. संविधान पीठ ने अपने निर्णय में कहा है कि रिकॉर्ड पर कोई त्रुटि नहीं मिली है जिससे मामले पर फिर से विचार करने की जरूरत हो. 5 मई 2021 को दिए फैसले में संविधान पीठ ने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण रद्द करते हुए कहा था कि 1992 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक आरक्षण सीमा 50 फीसदी से आगे नहीं की जा सकती.

जबकि महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण के प्रावधान के जरिए इसका अतिक्रमण किया है. बेंच ने साफ कहा कि फैसले के बाद से इस प्रावधान के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिला या नौकरी नहीं दी जा सकती.

क्या है मराठा आरक्षण का मसला...

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महाराष्ट्र में मराठा समाज के लोग लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई भी सरकार अभी तक उसे जमीन पर नहीं उतार सकी है. विधानमंडल के बजट सत्र में कांग्रेस के एमएलसी भाई जगताप ने मराठा आरक्षण का मुद्दा उठाकर एकनाथ शिंदे सरकार को घेरा था. इस पर सीएम शिंदे ने कहा था कि सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए पूरी तरह से कटिबद्ध है. सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई पूरी लड़ी जाएगी. बीजेपी-शिंदे सरकार भले ही आश्वासन दे दिया हो, लेकिन विपक्ष एक तरह से इसे मुद्दा बनाने में जुटा है. ऐसे में मराठा समुदाय फिर से अपने आरक्षण की मांग पर सड़क पर उतर गया तो बीजेपी के लिए चिंता बढ़ जाएगी. शिवसेना से लेकर कांग्रेस और एनसीपी तक मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के समर्थन में है.

 

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