सुप्रीम कोर्ट में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने ई-फाइलिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई, सुनवाई का सीधा प्रसारण जैसी तकनीक तो कोर्ट ने अपनाई है, इसे बढ़ावा भी दिया जा रहा है. इन सबके बीच सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस को ई-मेल से जरिए तामील कराए जाने को लेकर बड़ी बात कही है.
सुप्रीम कोर्ट के एक रजिस्ट्रार कोर्ट साफ कर दिया है कि कोर्ट नोटिस ई-मेल के जरिए तामील करना वैध तरीका नहीं है. सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान रजिस्ट्रार कोर्ट ने ये आदेश दिया है. रजिस्ट्रार कोर्ट ने कहा कि ई-मेल के जरिए नोटिस तामील कराना कोर्ट नियमावली के मुताबिक वैध नहीं है.
रजिस्ट्रार कोर्ट की ये टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब फाइलिंग से लेकर सुनवाई तक, सुप्रीम कोर्ट में तकनीक के उपयोग को बढ़ा दिया जा रहा है. कुछ दिन पहले ही भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि केंद्र सरकार ने बजट प्रस्तावों में न्यायपालिका के लिए ई-कोर्ट्स के लिए 7000 करोड़ का प्रावधान किया है.
उन्होंने कहा था कि इससे न्यायपालिका के इंफ्रास्ट्रक्चर को फायदा होगा. सीजेआई ने ये भी कहा था कि इससे लोगों तक न्याय पहुंचाना आसान होगा. सुप्रीम कोर्ट के स्थापना दिवस समारोह में उन्होंने कहा था कि पिछले तीन महीनों में 12 हजार से ज्यादा मामले सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल किए गए.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने ये भी कहा था कि पिछले तीन महीने में करीब-करीब उतने ही मामलों का निपटारा भी किया गया. उन्होंने कोरोना संकट और लॉक डाउन के दौरान न्यायपालिका की कार्यवाही जारी रहने का भी जिक्र किया था और तकनीक के उपयोग की जानकारी दी थी.
सीजेआई ने कहा था कि जब दुनिया घरों की चहारदीवारी के भीतर कैद हो गई थी, तब भारतीय न्यायपालिका ने मुकदमों की सुचारू सुनवाई के लिए अत्याधुनिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आम जनता के लिए घर बैठे साढ़े तीन लाख से ज्यादा मामलों की सुनवाई हुई और हजारों मामलों का निपटारा हुआ.