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रामसेतु को लेकर हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड की याचिका Supreme Court में खारिज, ये थी मांग

हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड नाम की संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. इसमें मांग की गई थी कि रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए और राम सेतु साइट पर दीवार बनाई जाए. इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

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सुप्रीम कोर्ट/रामसेतु (File Photo)
सुप्रीम कोर्ट/रामसेतु (File Photo)

राम सेतु साइट पर दीवार बनाने और रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आखिर समुद्र में दोनों तरफ दीवार कैसे बनाई जा सकती है? इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि एक तरफ से बनाई जा सकती है.

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हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड नाम की संस्था के अध्यक्ष अशोक पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस जनहित याचिका में गुहार लगाई गई थी कि धनुषकोडि के पास समुद्र में रामसेतु के पास कुछ सौ मीटर तक और अगर संभव हो तो एक किलोमीटर तक दीवार बनाने का निर्देश दिया जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग वाली याचिका पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तो फिर इस याचिका पर क्यों सुनवाई की जाए.

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डॉक्टर सुब्रमण्यम स्वामी ने कई साल पहले रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता देने के लिए याचिका दायर की गई थी. सुब्रमण्यम स्वामी कई बार CJI से इस मामले की जल्द सुनवाई करने की मांग कर चुके हैं. कई बार कोर्ट ने केंद्र सरकार को हलफनामा दाखिल कर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था, लेकिन अबतक केंद्र सरकार की ओर से कोई हलफनामा दायर नहीं किया गया है.

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केंद्र सरकार का मामले पर क्या रुख?

मोदी सरकार रामसेतु मामले पर अपना रुख पहले ही स्पष्ट कर चुकी है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर सेतु समुद्रम परियोजना और राम सेतु के बारे में कहा था कि समुद्र में जहाजों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए प्रस्तावित सेतु समुद्रम परियोजना के लिए राम सेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. परियोजना के लिए सरकार कोई दूसरा वैकल्पिक मार्ग तलाशेगी. स्वामी ने अपनी याचिका में कहा है कि रामसेतु लाखों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा है, लिहाजा इसे न तोड़ा जाए. साथ ही रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए. 

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