scorecardresearch
 

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को मिलेगा बढ़ा हुआ मुआवजा? सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

डाव कंपनी की ओर से पेश एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा कि करुणा नंदी पहले याचिकाएं और उसमें लिखी अपील और प्रेयर देख लें. यूएस कोर्ट में सभी खारिज हो गई हैं. लेकिन कोर्ट को ये सच्चाई ना बताकर वही दलीलें यहां रखी जा रही हैं. इस पर कोर्ट ने पीड़ितों की वकील करुणा नंदी से पूछा कि क्या आप नया सेटलमेंट चाहती हैं? नंदी ने कहा बिल्कुल, हम यही चाहते हैं.

Advertisement
X
सुप्रीम कोर्ट जल्द ही अपना फैसला सुनाएगी
सुप्रीम कोर्ट जल्द ही अपना फैसला सुनाएगी

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को मुआवजा के मामले में केंद्र सरकार की क्यूरेटिव याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने फ़ैसला सुरक्षित कर लिया है. पीठ ने तीन दिन सुनवाई करने के बाद गुरुवार को फैसला रिजर्व रख लिया है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की वकील करुणा नंदी ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर और कार्नेगी मेलॉन यूनिवर्सिटी की रिसर्च रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि जो लोग गैस से पीड़ित होने के बाद जिंदा बच गए उनकी जिंदगी तो नरक हो ही गई, लेकिन जो कथित रूप से स्वस्थ थे, उनकी भी मौत असमय ही हो गई. सरकार और जिम्मेदार कम्पनी के बीच अपराधिक और सिविल दोनों स्तर पर सहमति समझौता हुआ था. रिव्यू अर्जी पर कोर्ट का फैसला निर्णायक था. 

Advertisement

इस पर पीठ ने नंदी को कहा कि आप मुद्दे से भटक रही हैं. ये मूल याचिका नहीं, बल्कि केंद्र सरकार की ओर से दाखिल क्यूरेटिव याचिका है. हम इस पर ही सुनवाई कर रहे हैं. डाव कंपनी की ओर से पेश एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा कि करुणा नंदी पहले याचिकाएं और उसमें लिखी अपील और प्रेयर देख लें. यूएस कोर्ट में सभी खारिज हो गई हैं. लेकिन कोर्ट को ये सच्चाई ना बताकर वही दलीलें यहां रखी जा रही हैं. इस पर कोर्ट ने पीड़ितों की वकील करुणा नंदी से पूछा कि क्या आप नया सेटलमेंट चाहती हैं? नंदी ने कहा बिल्कुल, हम यही चाहते हैं. 

पारिख ने जब ये कहा कि पिछली बार भी जब समझौता हुआ था तो कोर्ट तीसरा पक्षकार था. इस पर जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि हम कोई पक्षकार नहीं थे. हम पक्षकारों के बीच की दूरी खत्म करने के लिए मध्यस्थता के जरिए पुल का काम कर सकते हैं. हमारी भूमिका वैसी ही है जैसे तलाक लेने पर आमादा जोड़े को मध्यस्थता के लिए आमने सामने बिठाना. फिर आगे का सफर तय करना दंपति का काम होता है. जस्टिस खन्ना ने कहा कि इतने वर्षों बाद उन्हीं आंकड़ों के बारे में टिप्पणी की कि बहुत मुश्किल है इतने पुराने आंकड़ों में पड़ताल करना. इस पर जस्टिस विक्रम नाथ ने याचिकाकर्ता से कहा कि उन सभी की शिकायतें भारत सरकार से हैं, ना कि यूनियन कार्बाइड कंपनी से. 

Advertisement

जस्टिस ओक ने पूछा कि क्या किसी ने सरकार से और ज्यादा मुआवजे की मांग कभी की है? संजय पारिख ने कहा कि कई बार की गई है. हरीश साल्वे ने डाव कम्पनी की ओर से दलील दी कि अलग अलग स्तर और मंच पर दावेदारों का हुजूम है. साल्वे ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और कम्पनी के मालिक वॉरेन एंडरसन की पेरिस के एक होटल में मुलाकात की भी चर्चा होती है. कुछ लोगों के लिए इसमें साजिश का एंगल भी है. पिछली बार जब समझौते पर सहमति बनी थी तो पीड़ित पक्ष पांच सौ करोड़ रुपए मुआवजा दिए जाने की बात कह रहा था.  यूनियन कार्बाइड उर्फ डाव केमिकल्स ने चार सौ पचास करोड़ रुपए ही दे पाने की बात कही थी. तब कोर्ट ने दोनों पक्ष को 470 करोड़ रुपए में मामला तय करने की बात कही थी.

बता दें कि भोपाल गैस पीड़ितों को 7400 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा दिलवाने की मांग वाली केंद्र सरकार की क्यूरेटिव याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने आदेश सुरक्षित रख लिया है. सरकार चाहती है कि यूनियन कार्बाइड गैस कांड पीड़ितों को ये पैसा दें, वहीं यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है  कि वो 1989 में हुए समझौते के अलावा भोपाल गैस पीड़ितों को एक भी पैसा नहीं देगा.

Advertisement
Advertisement