सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर के पास औलिया-ए-दीन मस्जिद और कब्रगाह की विवादित जमीन पर फिलहाल गुजरात सरकार का ही कब्जा बने रहने पर सहमति जताई है. औलिया ए दीन कमेटी की विवादित जमीन पर बुलडोजर कार्रवाई से डिमोलिशन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दौरान कोर्ट यह बात कही.
गुजरात सरकार की तरफ से सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस भूषण आर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ को आश्वस्त किया कि ज़मीन अभी सरकार के कब्जे में रहेगी. ज़मीन किसी तीसरे पक्ष को नहीं दी जाएगी.
याचिकाकर्ता की दलील
सुप्रीम कोर्ट ने एसजी तुषार मेहता की इस अंडरटेकिंग को रिकॉर्ड पर लिया.हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कोई आदेश जारी करने से फिलहाल इंकार कर दिया. याचिकाकर्ता के वकील हुजैफा अहमदी ने आरोप लगाया कि संरक्षित स्मारक को भी गिरा दिया गया है और सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई होने से ऐन वक्त पहले रात में ही तोड़फोड़ की कार्रवाई की गई.
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हुजैफा अहमदी ने आरोप लगाते हुए कहा, 'उस ज़मीन का आवंटन 1903 में हमारे नाम पर हुआ है. एक स्मारक को तो प्राचीन स्मारक घोषित किया गया है. यह वक्फ में भी रजिस्टर्ड है. उसे भी गिराया गया है.'
गुजरात सरकार की दलील
गुजरात सरकार ने आरोप लगाया कि इस मसले को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है. ये मामला तो अतिक्रमण का है. इस जमीन के रजिस्ट्रेशन का दावा भी गलत है. हमने इस मुद्दे पर हाईकोर्ट मे भी जवाब दिया है. पांच महीने पहले अतिक्रमण हटाने का काम शुरू किया गया था. सुनवाई के दौरान वकीलों ने शेर-ओ- शायरी भी सुनाई.
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