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9 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक दर्जा दिलाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

याचिका में मांग की गई है कि अल्पसंख्यकों की पहचान तय के लिए शीर्ष अदालत दिशा-निर्देश जारी करे. दलील है कि देश के कम से कम 9 राज्यों में हिन्दू भी अल्पसंख्यक हैं, लेकिन उन्हें अल्पसंख्यकों की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है.

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है. (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 9 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग
  • सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 6 हफ्ते के लिए टली

देश के 9 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई. अब 6 हफ्ते बाद यानी मई या फिर गर्मी छुट्टी के बाद इस मामले में सुनवाई हो सकेगी.  अदालत ने केंद्र सरकार से चार हफ्ते में  याचिका से संबंधित सभी मुद्दों पर जवाब दायर करने को कहा है. याचिकाकर्ता को सरकार के जवाब के प्रतिउत्तर के लिए दो हफ्ते का समय दिया गया. उसके बाद मामले पर सुनवाई होगी.

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा था कि हिंदुओं की कम जनसंख्या वाले राज्यों में प्रदेश सरकारें भी हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दे सकती हैं. इसके अलावा राज्य अपने नियमों के अनुसार संस्थानों को अल्पसंख्यक संस्थानों के रूप में मान्यता दे सकते हैं. सरकार ने हिंदू अल्पसंख्यक मामले पर दाखिल अपने हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि जहां हिंदू या अन्य समुदाय जो अल्पसंख्यक हैं, वो राज्य उन समुदायों को अल्पसंख्यक समुदाय घोषित कर सकते हैं. 

केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र और कर्नाटक के उदाहरण देते हुए कहा, जैसे कि महाराष्ट्र ने 2016 में यहूदियों के लिए धार्मिक और कर्नाटक ने उर्दू, तेलुगु, तमिल, मलयालम, मराठी, तुलु, लमानी, हिंदी, कोंकणी, और गुजराती को भाषाई आधार पर उन्हें अल्प संख्यक घोषित किया है, उसी तरह अन्य राज्य भी ऐसा कर सकते हैं. 

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दरअसल, इस याचिका में कहा गया है कि लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर में यहूदी, बहाई और हिंदू अल्पसंख्यक हैं, लेकिन वो वहां अपने शैक्षणिक संस्थान संचालित नहीं कर सकते. संविधान में दिए गए अधिकार और सुप्रीम कोर्ट की व्याख्या के विपरीत ये गलत है.

इसी याचिका के जवाब में केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि इन राज्यों में अल्पसंख्यक समुदाय अपने शैक्षणिक संस्थान खोल सकते हैं और उन्हें संचालित कर सकते हैं. राज्य इस बारे में फैसला ले सकते हैं. हालांकि, केंद्र ने ये भी कहा कि अल्पसंख्यकों से जुड़े मामलों में कानून बनाने का अधिकार सिर्फ राज्यों को नहीं दिया जा सकता, क्योंकि इससे संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लंघन होगा. 

याचिका के मुताबिक, कश्मीर-पंजाब और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं. मुस्लिम और बौद्ध बहुल लद्दाख में हिंदुओं की आबादी महज 1% है तो ईसाई बहुल मिजोरम में 2.75% तक है.

 

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