सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा है. दरअसल, 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में 'बेगुनाहों' को फंसाने के लिए कथित रूप से सबूत गढ़ने के आरोप में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को जून में गिरफ्तार किया गया था.
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुनवाई की. न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया. साथ ही मामले की सुनवाई 25 अगस्त तक के लिए टाल दी.
दरअसल, 3 अगस्त को गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था और मामले की सुनवाई 19 सितंबर को तय की थी. इससे पहले 30 जुलाई को अहमदाबाद की एक सेशंस कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उनकी रिहाई से गलत काम करने वालों को संदेश जाएगा कि एक व्यक्ति दंड से मुक्त होकर आरोप लगा सकता है और भाग सकता है. तीस्ता सीतलवाड़ और श्रीकुमार को जून में गिरफ्तार किया गया था. दोनों पर गोधरा कांड के बाद के दंगों के मामलों में "निर्दोष लोगों" को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने का आरोप है.
इस मामले के तीसरे आरोपी पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट ने जमानत के लिए आवेदन नहीं किया है. भट्ट को जब इस मामले में गिरफ्तार किया गया था, तब वह पहले से ही एक अन्य आपराधिक मामले में जेल में थे.
अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने तीस्ता सीतलवाड़, आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट के खिलाफ गुजरात दंगों के बाद निर्दोष लोगों, पुलिस अधिकारियों और मंत्रियों-राजनेताओं को निशाना बनाने के लिए झूठे और मनगढ़ंत हलफनामे, बयान और सबूत देने के लिए मामला दर्ज किया था. अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने तीनों आरोपियों पर गोधरा ट्रेन कांड के बाद एक बड़ी साजिश रचने का आरोप लगाया है. अपराध शाखा ने अदालत को दिए अपने हलफनामे में कहा था कि सभी आरोपियों ने कांग्रेस के दिवंगत नेता अहमद पटेल के इशारे पर साजिश रची थी. वह संसद सदस्य और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार थे.
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