तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) मामले में मीडिया रिपोर्टिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नाराजगी जताई. कोर्ट ने इस मामले का सांप्रदायिकरण करने की आलोचना की. चीफ जस्टिस एनवी रमणा (CJI NV Ramana) ने कुछ मीडिया आउटलेट्स की रिपोर्टिंग की आलोचना की. उन्होंने कहा कि उन्हें ये नहीं समझ आ रहा है कि हर चीज और विषय को सांप्रदायिक रंग क्यों दे दिया जाता है?
सीजेआई ने ये टिप्पणी तब्लीगी जमात मामले में कुछ मीडिया आउटलेट्स की ओर से अभद्र भाषा के इस्तेमाल और गलत रिपोर्टिंग के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान की. सीजेआई एनवी रमणा ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि ये सब क्यों हो रहा है? हर चीज को सांप्रदायिक एंगल दे दिया जाता है. वेब पोर्टल किसी के नियंत्रण में नहीं है. अगर आप यूट्यूब पर जाएंगे तो वहां देखेंगे कि कितनी फेक न्यूज और झूठी खबरें चल रहीं है. कोई भी इन्हें शुरू कर सकता है.'
CJI रमणा ने कहा कि 'ऐसा लगता है कि वेब पोर्टल पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है. वो जो चाहे चलाते हैं. उनकी कोई जवाबदेही भी नहीं है. वो हमें कभी जवाब नहीं देते. वो संस्थाओं के खिलाफ बहुत बुरा लिखते हैं. लोगों के लिए तो भूल जाओ, ज्यूडिशियरी और जजों के लिए भी कुछ भी मनमाना लिखते रहते हैं.'
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उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा कि 'क्या इससे निपटने के लिए कोई सिस्टम है? आपके पास इलेक्ट्रानिक मीडिया और अखबारों के लिए तो व्यवस्था है लेकिन वेब पोर्टल के लिए भी कुछ करना होगा.' सीजेआई ने पूछा कि 'सोशल और डिजिटल मीडिया पर निगरानी के लिए आयोग बनाने के वादे का क्या हुआ?'
कोर्ट ने कहा कि न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (NBSA) ने 2021 के नियमों को चुनौती दी है, क्योंकि ये नियम मीडिया को स्वायत्तता और नागरिकों के अधिकारों के बीच संतुलन नहीं करते. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने कहा, 'ये नियम मीडिया और नागरिकों को सुविधा देते हैं. हमने ये सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि कोई भी अप्रिय सूचना या गलत जानकारी प्रसारित न हो. ब्रॉडकास्टर और वेब पोर्टल के लिए नियम बनाए गए हैं.' इस पर CJI ने कहा, 'प्रिंट और टीवी के लिए रेगुलेटर हैं, लेकिन बाकी के लिए क्या इंतजाम हैं?'
अब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इन सभी याचिकाओं पर 6 हफ्ते बाद सुनवाई होगी.