सुप्रीम कोर्ट में इतिहास बनने जा रहा है. वर्षों बाद (करीब ढाई साल बाद) सुप्रीम कोर्ट में दो-दो संविधान पीठ सुनवाई करेंगी. मंगलवार से सुप्रीम कोर्ट में दो संविधान पीठ वर्षों से लंबित संविधान से जुड़े मामलों की सुनवाई करने बैठेंगी. संविधान से जुड़े मामलों की सुनवाई और व्याख्या के लिए पांच जजों की पीठ सुनवाई करेगी.
इसमें पहली संविधान पीठ की अगुआई खुद चीफ जस्टिस यूयू ललित करेंगे. वहीं दूसरी संविधान पीठ की अगुआई जस्टिस इंदिरा बनर्जी करेंगी. चीफ जस्टिस की अगुआई वाली पीठ में जस्टिस दिनेश महेश्वरी, जस्टिस एस आर भट्ट, बेला माधुर्य त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला होंगे.
जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अगुआई वाली पीठ में जस्टिस हेमंत गुप्ता, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस सुधांशु धूलिया होंगे.
किन मामलों पर होगी सुनवाई?
चीफ जस्टिस की अगुआई वाली पीठ संविधान के 103वें संशोधन की वैधानिकता पर विचार करेगी, जिसके जरिए आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों के लिए आरक्षण का प्रावधान 2019 में किया गया था. ये याचिका जनहित अभियान ने दाखिल की थी. ये मुकदमा ठीक दो साल पहले तब के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुआई वाली पीठ ने 2020 के अगस्त में संविधान पीठ के पास भेजा था.
इसके अलावा सीजेआई की अगुआई वाली संविधान पीठ के सामने अन्य मामले भी होंगे. इसमें आंध्रप्रदेश सरकार बनाम बी अर्चना रेड्डी की याचिका शामिल है. यह मुस्लिमों के लिए शिक्षा और अन्य लोक सेवाओं में आरक्षण की नीति को चुनौती देने वाली याचिका है. कोर्ट में विचार इस बारे में भी होगा कि मुसलमानों को सिर्फ धार्मिक आधार पर पिछड़ा मानकर आरक्षण मिले या इसमें भी पिछड़ेपन के आधार पर अलग खाने बनाए जाएं.
इसके अलावा पंजाब में सिख छात्रों को गुरुद्वारा कमेटी के स्कूलों-कॉलेजों और शिक्षा संस्थानों में 50 फीसदी आरक्षण देने की पंजाब सरकार की अधिसूचना रद्द करने को भी चुनौती दी गई है.
एक और मसला वी सनतकुमार बनाम एचसी भाटिया का है. इसमें सुप्रीम कोर्ट की क्षेत्रीय पीठ की स्थापना का विचार है. ये मामला 2016 में सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ ने संविधान पीठ के पास भेजा था.
जस्टिस इंदिरा बनर्जी किन मामलों की सुनवाई करेंगी?
जस्टिस इंदिरा बनर्जी की अगुआई वाली पांच जजों की संविधान पीठ के पास भी कई मामले होंगे. इसमें तेज प्रकाश पाठक बनाम राजस्थान हाईकोर्ट मामले में सवाल यह है कि क्या कोर्ट किसी पद पर नियुक्ति के लिए 75% न्यूनतम नंबर हासिल करने की शर्त लगा सकता है?
पीठ के सामने दूसरा मामला शांति फ्रेगरेंस बनाम भारतीय संघ है. इसमें गुटखा और पान मसाला के बिक्री कर से जुड़े हाईकोर्ट के दो फैसलों के बीच मतभेद से जुड़ा मुद्दा है. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ तय करेगी कि गुटखा को तंबाकू उत्पाद के रूप में ज्यादा कर वाली कैटेगिरी में रखा जाए या नहीं.
तीसरा मसला समीना बेगम बनाम भारतीय संघ है. ये मुस्लिम विवाह विच्छेद यानी तलाक के प्रकारों से जुड़ा है. तलाक के कई प्रकारों में से एक तलाक ए बिद्दत को सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में असंवैधानिक करार दिया था.
चौथा मसला कैदियों की समय पूर्व रिहाई से जुड़ा है. प्यारे लाल बनाम हरियाणा सरकार नामक यह मुद्दा सरकार के विशेषाधिकार और सीआरपीसी के प्रावधानों के बीच खींचतान से जुड़ा है.