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ग्रीन पटाखों को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी, कलकत्ता HC का आदेश दरकिनार

Supreme Court on green Fire Crackers: दिवाली (Diwali 2021) और अन्य त्योहारों में ग्रीन पटाखों सुप्रीम कोर्ट ने की इजाजत दी है, वहीं कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court ) का आदेश रद्द कर दिया है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने हर तरीके के पटाखों पर रोक लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बारे में राज्‍य मैकेनिज्‍म मजबूत करें.

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Supreme Court on green Fire Crackers
Supreme Court on green Fire Crackers
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सुप्रीम कोर्ट का ग्रीन पटाखों पर फैसला
  • कलकता हाईकोर्ट का निर्णय पलटा

पश्चिम बंगाल (West Bengal) में दिवाली (Diwali) और अन्य त्योहारों के दौरान ग्रीन पटाखों की इजाजत (Supreme Court on green Fire Crackers) देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया है. 

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दरअसल कलकत्ता हाईकोर्ट ने हर तरीके के पटाखों पर रोक लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ये सुनिश्चित करे कि जब पटाखे राज्य में लाए जाएं तभी उनको वैरिफाई करें. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि पटाखों पर पूरी तरह बैन नहीं लगाया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ग्रीन पटाखों की पहचान के लिए मैकेनिज्म पहले से मौजूद है. राज्य ये सुनिश्चित करें कि ये मैकेनिज्म मजबूत होना चाहिए. 

जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि पटाखों का मामला कोई नया नहीं है. 2018 में पहला आदेश आया था,  इसके बाद फिर से आदेश आया. 

याचिकाकर्ताओं ने ऐसा कोई नया मामला नहीं बनाया है. सिर्फ ये कहना कि आदेश को लागू करने में प्रैक्टिकल दिक्कत है, काफी नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर कुछ राज्यों ने इस तरह पटाखों पर बैन लगाया है तो अगर कोई चुनौती देता है तो अदालत मामले को सुनेगी. जब सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस मामले को तय कर दिया है तो पूरे देश में एक ही नीति होनी चाहिए.  दूसरे याचिकाकर्ता की ओर से मालविका त्रिवेदी ने कहा कि ग्रीन पटाखों को इजाजत दी जाए. 

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पटाखों के वैरिफिकेशन में है दिक्‍कत 
जस्टिस खानविलकर ने कहा कि मुख्य समस्या ग्रीन पटाखों के वेरिफिकेशन को लेकर है. गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि डिब्बे पर ग्रीन पटाखे छाप कर बेरियम वाले पटाखे बेचे जा रहे हैं. क्यूआर कोड भी नकली हैं. पाबंदी वाले पटाखे धड़ल्ले से बिक रहे हैं. कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही है. सीबीआई ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में इन सब चीजों का खुलासा किया है. 

PESO ने दी है 4 किस्‍म के पटाखों को इजाजत 
गोपाल शंकर नारायण की दलील ये भी थी कि लॉ इनफोर्सिंग एजेंसीज आंख मूंदे बैठी हैं. PESO यानी पेट्रोलियम एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ इंडिया ने तीन सौ किस्म के पटाखों में से सिर्फ चार किस्म के पटाखों को ही मंजूरी दी है. सबसे लोकप्रिय आतिशबाजी रॉकेट को भी PESO ने सेहत के लिए काफी खतरनाक बताया  है. आनंद ग्रोवर ने सुदीप्त भौमिक के मुकदमे में पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कहा कि पटाखे बनाने वालों और उनके उत्पादों का ऑनलाइन वेरिफिकेशन रियल टाइम में हो सकता है . 


 

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