सुप्रीम कोर्ट ने जगद्गुरु आदि शंकराचार्य के उत्तराम्नाय पीठ यानी उत्तराखंड में बदरीकाश्रम के जोशीमठ में स्थित ज्योतिष्पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के 17 अक्टूबर को होने वाले पट्टाभिषेक अभिनंदन समारोह पर रोक लगा दी है.
दरअसल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ को सूचित किया कि पुरी में पूर्वाम्नाय गोवर्धन मठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने एक हलफनामा दायर किया है.
उसमें कहा गया है कि पुरी पीठ के शंकराचार्य ने ज्योतिष्पीठ पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति का समर्थन नहीं किया है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उक्त आदेश पारित किया. अगली सुनवाई तक इस आयोजन पर रोक लगी रहेगी.
बता दें कि पश्चिमाम्नाय द्वारका के गोवर्धन पीठ और ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य के तौर पर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ही काबिज रहे. द्वारका के शंकराचार्य के रूप में तो वो निर्विवाद रहे लेकिन बदरीकाश्रम के शंकराचार्य के रूप में स्वामी वासुदेवानंद ने उनको सुप्रीम कोर्ट तक चुनौती दी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वामी स्वरूपानंद के दावे को सही माना.
अब स्वामी स्वरूपानंद की वसीयत यानी इच्छापत्र के मुताबिक उनके ब्रह्मलीन होने के अगले दिन समाधि हुई और उसके अगले दिन उनके दोनों पट्ट शिष्यों को दोनों पीठ के शंकराचार्य के रूप में अभिषिक्त कर दिया गया.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ज्योतिष्पीठ के और स्वामी सदानंद सरस्वती को द्वारका गोवर्धन पीठ का शंकराचार्य नियुक्त कर दिया गया. अब फिर विवाद के घेरे में ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य की गद्दी है.