राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के पथ संचलन यानी रूट मार्च के मुद्दे पर तमिलनाडु की DMK सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. RSS के रूट मार्च निकाले जाने के खिलाफ प्रदेश सरकार की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है.
जस्टिस वी रामसुब्रह्मण्यम और जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. तमिलनाडु में प्रस्तावित RSS के रूट मार्च के खिलाफ दायर राज्य सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दिखाते हुए रूट यात्रा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. राज्य सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है.
मद्रास हाईकोर्ट ने RSS रूट यात्रा को मंजूरी दी थी. सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार 6 जिलों में मार्च को इजाजत नहीं दे सकती. क्योंकि इन इलाकों में PFI के साथ-साथ बम ब्लास्ट का भी खतरा है.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक लोकतंत्र की भाषा है और एक सत्ता की भाषा है.आप कौन सी भाषा बोलते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां हैं. सुप्रीम कोर्ट का रुख देखते हुए उस समय RSS ने 5 मार्च का प्रस्तावित मार्च टालने पर सहमति जताई थी.
बीते 4 नवंबर को मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस इलानथिरयान ने अपने आदेश में रूट मार्च निकालने के तरीकों पर शर्तें लगाई थीं. कोर्ट ने 50 में से 44 जगहों पर शर्तों के साथ मार्च निकालने की अनुमति दी थी. इसमें सबसे प्रमुख था कि आरएसएस को मैदान या स्टेडियम जैसे परिसरों में मार्च करना चाहिए. आदेश के तुरंत बाद आरएसएस ने तीन जगहों को छोड़कर सभी जगहों पर रूट मार्च को रद्द कर दिया था, जहां रूट मार्च की अनुमति थी.
अदालत ने तमिलनाडु पुलिस द्वारा रूट मार्च किए जाने पर कानून और व्यवस्था के हालात पर चिंता को ध्यान में रखते हुए प्रतिबंध लगाए थे. इससे पहले पुलिस ने केवल तीन जगहों पर रैली की इजाजत दी थी. इसके अलावा प्रशासन ने 23 इनडोर मीटिंग करने की भी मंजूरी दी थी, लेकिन 24 जगहों पर आरएसएस की मांग को खारिज कर दिया था. हालांकि बाद में हाई कोर्ट ने छह जगहों को छोड़कर 44 जगहों पर रैली और जुलूस निकालने की इजाजत दे दी थी.