उच्च न्यायपालिका में सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम से हुई सिफारिशों जे बावजूद जजों की नियुक्ति में हो रही देरी से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये अच्छे संकेत नहीं है. कोर्ट ने कहा, 'जजों की नियुक्ति और तबादले भी सरकार अपनी पसंद नापसंद के मुताबिक कर रही है. हमने इसके लिए सरकार को पहले भी आगाह किया है. अभी भी इलाहाबाद, दिल्ली, पंजाब और गुजरात हाईकोर्ट में जजों के तबादले की सिफारिश वाली फाइल सरकार ने लटका रखी हैं. गुजरात हाईकोर्ट में तो चार जजों के तबादले लंबित हैं. इन पर सरकार ने कुछ भी नहीं किया.'
वरिष्ठता क्रम पर पड़ेगा असर- कोर्ट
अटॉर्नी जनरल ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि विधानसभा चुनावों में व्यस्तता की वजह से ऐसा हुआ है. सरकार की ऐसी कोई मंशा नहीं थी और हमने सरकार को सूचित कर रखा है. इस पर जस्टिस कौल ने कहा,' हमने हाईकोर्ट्स में 14 जजों की नियुक्ति की सिफारिश की है लेकिन नियुक्ति हुई सिर्फ एक की सिर्फ गुवाहाटी हाई कोर्ट में. सरकार की इस पसंद ना पसंद से जजों की वरिष्ठता क्रम पर असर पड़ता है. वकील जज बनने के लिए अपनी स्वीकृति वरिष्ठता के लिए ही तो देते हैं. जब इसकी सुरक्षा ही नहीं होगी तो वो क्यों जज बनने को राजी होंगे?'
जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि पिछली बार हमने जो नाम भेजे थे उनमें से आठ नाम अब तक लंबित हैं. हमें पता है वो नाम क्यों लटकाए गए हैं.हमें सरकार की चिंता भी मालूम है. आधे से ज्यादा नाम सरकार ने क्लियर नहीं किए.याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने दलील दी कि कोर्ट सरकार को 1992 में सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति मामले में दिया फैसला लागू करने का आदेश दे. उस फैसले में सरकार के लिए कोलेजियम की सिफारिशों पर निर्णय लेने के लिए समय सीमा का भी प्रावधान है.
हमें मजबूर करते जा रहे हैं- अटॉर्नी जनरल से बोले जस्टिस कौल
जस्टिस कौल ने अटॉर्नी जनरल को संबोधित करते हुए कहा कि हमने आपकी बात और आपका मान रखते हुए आदेश पारित नहीं किया लेकिन सरकार की हर बार अपनी मर्जी के निर्णय हमें मजबूर करते जा रहे हैं. उन्होंने कहा, 'जजों के तबादले के लिए छह नाम अभी तक बिना कोई कारण बताए लंबित हैं इनमें चार गुजरात हाईकोर्ट के और इलाहाबाद और दिल्ली हाईकोर्ट से एक एक नाम हैं। पांच पिछले नाम भी हैं जिन पर सरकार ने न तो कोई आपत्ति भेजी ना ही मंजूरी दी. पांच अन्य नाम तो कोलेजियम ने दुबारा भेजे हैं.जुलाई में भेजे तीन नाम अब तक आपत्ति की समय सीमा पार होने के बाद भी अब तक लंबित ही हैं. पता ही नहीं क्यों.'