scorecardresearch
 

'यूनिफॉर्म सिविल कोड नीतिगत मामला, कोर्ट नहीं दे सकता निर्देश', SC में केंद्र सरकार ने दाखिल किया हलफनामा

केंद्र सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट को लेकर दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर दिया है. केंद्र सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को नीतिगत मामला बताते हुए कहा है कि कोर्ट इसका मसौदा तैयार करने का निर्देश नहीं दे सकता.

Advertisement
X
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर चर्चा छिड़ी हुई है. यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है. केंद्र सरकार ने भी हलफनामा दायर कर अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया है. केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा है कि विभिन्न धर्मों और संप्रदायों से संबंधित नागरिकों का विभिन्न संपत्ति और वैवाहिक कानूनों का पालन करना राष्ट्र की एकता का अपमान है.

Advertisement

केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड में सभी पर्सनल लॉ समा जाएंगे. केंद्र सरकार ने ये भी कहा है कि 21वें लॉ पैनल का कार्यकाल समाप्त होते ही यूनिफॉर्म सिविल कोड की व्यवहारिकता की खोज को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा. इस मुद्दे को चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति के बाद 22वें लॉ पैनल के समक्ष रखा जाएगा.

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर ये भी कहा है कि लॉ पैनल की रिपोर्ट मिलने के बाद हम हितधारकों से परामर्श करेंगे. केंद्र सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने को लेकर दायर याचिकाओं का विरोध भी किया है. केंद्र सरकार ने कोर्ट में दायर याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड नीतिगत मामला है.

केंद्र सरकार की ओर से ये भी कहा गया है कि नीतिगत मामलों को लेकर फैसला करना संसद का काम है. कोर्ट यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसौदा तैयार करने का निर्देश नहीं दे सकता. केंद्र सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मसले पर दायर याचिकाओं को खारिज कर देना चाहिए. सरकार ने इसके लिए अलग-अलग धर्मों के पर्सनल लॉ के अध्ययन की जरूरत बताई है.

Advertisement

गौरतलब है कि 21वें लॉ कमीशन ने सरकार के आग्रह पर यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर रायशुमारी की थी. 21वें लॉ कमीशन ने अलग-अलग धर्मों के पर्सनल लॉ का भी अध्ययन किया था और इसके बाद अपनी वेबसाइट पर एक कंसल्टेशन पेपर अपलोड किया था. 21वें लॉ कमीशन ने इस कंसल्टेशन पेपर को रिफॉर्म ऑफ फैमिली लॉ नाम दिया था. 21वें लॉ कमीशन का कार्यकाल खत्म होने के बाद ये कवायद लटक गई थी.

 

Advertisement
Advertisement