वंदे मातरम' को राष्ट्रगान 'जन गण मन' के समान दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार ने शनिवार को दिल्ली हाई कोर्ट को जवाब दिया है. केंद्र ने कोर्ट को अपने हलफनामे में जानकारी दी है कि 'जन गण मन' और 'वंदे मातरम' दोनों का ही बराबर दर्जा है. देश के हर नागरिक को दोनों के प्रति समान सम्मान दिखाना चाहिए.
याचिकाकर्ता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर कहा था कि वंदे मातरम ने भारत की आजादी के लिए हुए आंदोलन में अहम भूमिका निभाई है. ऐसे में वंदे मातरम को भी 'जन गण मन' के समान सम्मान दिया जाए. राष्ट्र गीत वंदे मातरम व राष्ट्र गान जन गण मन सभी स्कूलों व शिक्षा संस्थानों में हर दिन अनिवार्य रूप से गाने बजाने के निर्देश देने की भी मांग की थी.
इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गृह मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, कानून और न्याय मंत्रालय और अन्य संबंधित पक्षकारों से जवाब मांगा था.
केंद्र ने कोर्ट में कहा कि वर्ष 1971 में राष्ट्रगान के गायन को रोकने या इस तरह के गायन में किसी भी सभा में रुकावट पैदा करने को राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम, 1971 को अधिनियमित करके दंडनीय अपराध बनाया गया था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह वंदे मातरम का सम्मान करे. देश को एकजुट रखने के लिए, जन गण मन और वंदे मातरम को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार को एक राष्ट्रीय नीति तैयार करनी चाहिए. वंदे मातरम में व्यक्त भावनाएं राष्ट्र के चरित्र और शैली को दर्शाती हैं और समान सम्मान के पात्र हैं."