अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और दूसरों मामलों में फैसला सुनाने के बाद जस्टिस पामिडीघंटम श्री नरसिम्हा ने पीठ से ही जस्टिस चंद्रचूड़ के बारे में अपनी भावनाएं जतानी शुरू कर दीं. उन्होंने कहा कि कई रूप में मैं ब्रदर जज जस्टिस चंद्रचूड़ का कायल हूं. मैं वकील के रूप में भी उनके कोर्ट में अनेक बार पेश हुआ. फिर बेंच में भी साथ रहा. अनेक मुकदमे सुने और समय-समय पर सलाह मशविरा किया.
इससे पहले कि जस्टिस पामिडीघंटम श्री नरसिम्हा और बातें कहतें भावुक CJI चंद्रचूड़ ने उनका हाथ दबाया. तब तक कोर्ट उठ गई. सीजेआई ने हाथ जोड़े. फिर जेब से रूमाल निकाला. आंखें पोंछी और प्रोटोकॉल के मुताबिक ब्रदर जजों के साथ कोर्ट रूम से निकल गए.
AMU के मुद्दे पर सुनाया फैसला
बता दें कि आज (8 नवंबर) को सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ का लास्ट वर्किंग डे था. इस दौरान उन्होंने काम करते हुए 7 जजों की बेंच में शामिल होकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसख्यंक दर्जे पर अपना फैसला भी सुनाया.
अल्पसंख्यक दर्जे का हकदार माना
AMU के मामले में कोर्ट ने उसे अल्पसंख्यक दर्जे का हकदार माना. कोर्ट ने इस मामले में अपना ही 1967 का फैसला बदल दिया, जिसमें कहा गया था कि AMU अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान का दर्जे का दावा नहीं कर सकती है. अन्य समुदायों को भी इस संस्थान में बराबरी का अधिकार है.
7 जजों की बेंच ने दिया फैसला
यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने दिया. बेंच में 7 जज शामिल थे, जिसमें से 4 ने पक्ष में और 3 ने विपक्ष में फैसला सुनाया. इस फैसले को देते हुए मामले को 3 जजों की रेगुलर बेंच को भेज दिया गया. इस बेंच को यह जांच करनी है कि क्या एएमयू की स्थापना अल्पसंख्यकों ने की थी?
11 नवंबर को बदभार संभालेंगे जस्टिस खन्ना
बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना को देश का अगला मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त किया है. जस्टिस खन्ना मौजूदा CJI डी वाई चंद्रचूड़ का स्थान लेंगे, जो 10 नवंबर 2024 को 65 वर्ष की उम्र में रिटायर हो जाएंगे. जस्टिस संजीव खन्ना 11 नवंबर 2024 को अपना पदभार ग्रहण करेंगे.
सीनियर अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अपने 52 साल में मैंने आपके जैसा असीम धैर्य वाला न्यायाधीश कभी नहीं देखा. आपने देश के उन समुदायों तक पहुंच बनाई, जिन्हें पहले कभी नहीं सुना और देखा गया था. आप उन्हें इस न्यायालय के सामने लाए और उन्हें दिखाया कि न्याय क्या है. कानून के जिस भी क्षेत्र को आपने छुआ है, एक अविस्मरणीय टिप्पणी छोड़ी है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा,'शब्दों में व्यक्त करना एक दर्दनाक बात है. मायलॉर्ड्स परिवार यहां है. पेशे में 2 बेटों को छोड़कर, वे कभी नहीं जान पाएंगे कि डॉ. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ होने का क्या मतलब है. मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि उन्हें पता होगा कि उनका क्या लाभ है और हमारा क्या नुकसान है.