दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मामले में अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत देते हुए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी है. वहीं उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को बड़ी बेंच को भेजा गया हैं. फिलहाल अंतरिम जमानत मिलने के बावजूद भी केजरीवाल जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे लेकिन पांच दिन बाद (17 जुलाई) हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले उन्हें उन्हें राहत जरूर मिली है.
अभी जेल में ही रहेंगे सीएम
केजरीवाल को भले ही ED के मनी लॉन्ड्रिंग केस में अंतरिम जमानत मिल गई है लेकिन वह अभी भी जेल में ही रहेंगे क्योंकि उनके खिलाफ दूसरा मामला CBI ने फाइल किया हुआ है और इस भ्रष्टाचार के केस में वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल 90 दिनों से ज़्यादा समय से जेल में बंद हैं, वे एक निर्वाचित नेता हैं और यह उन पर निर्भर करता है कि वे इस पद पर बने रहना चाहते हैं या नहीं. केजरीवाल के वकील विवेक जैन ने कहा कि अब मामला लार्जर बेंच को चला गया है. पीएमएलए वाले मामले में उन्हें अंतरिम जमानत मिल गई है और ये जमानत से जुड़ा मामला फिलहाल खत्म हो गया है.
सीबीआई और ईडी का मामला कैसे अलग
ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर मार्च में केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. तब केजरीवाल पर एक ही आरोप था - कथित तौर पर पैसों का लेनदेन और उसका इस्तेमाल करना. मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 3, मनी लॉन्ड्रिंग को अपराध मानती है, इसमें पैसों को छुपाने, कब्जा करने, उसका उपयोग और गलत पैसों को बेदाग संपत्ति के तौर पर पेश करना जैसे अपराध शामिल हैं. ईडी ने आरोप लगाया कि यह घोटाला थोक शराब कारोबार को निजी संस्थाओं को देने के लिए था.
आसान भाषा में समझें तो ईडी कथित मनी ट्रेल की जांच कर रहा है. केजरीवाल पर रकम बनाने और और उसका उपयोग करने के आरोप हैं. वहीं सीबीआई यह देख रही है कि इस मामले में करप्शन हुआ, यानि मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है. इसके लिए उसे कथित रिश्वत का लेनदेन साबित करना होगा. अब तक उसका आरोप है कि उत्पाद शुल्क नीति के तहत लाइसेंसधारियों को गलत फायदा दिया गया, जैसे लाइसेंस की फीस में छूट देना, या अप्रूवल के बगैर लाइसेंस को आगे बढ़ाना.
पक्ष में जा रहा है सीबीआई वाला मामला?
सीबीआई को पीसी (प्रिवेंशन ऑफ करप्शन) एक्ट मजबूती दे रहा है. सरकारी तंत्र एवं पब्लिक ऑफिसों में करप्शन रोकने के लिए बने एक्ट में आरोपी जमानत मांग सकता है, हालांकि वो तब तक रिहा नहीं किया जा सकता, जब तक कि सरकारी वकील इस जमानत के खिलाफ कोई तर्क न दे दे.
दरअसल सीबीआई केजरीवाल के खिलाफ जिस भ्रष्टाचार मामले की जांच कर रही है उसके खिलाफ उन्होंने जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका पहले से ही दायर कर रखी है. उसकी सुनवाई इसी महीने 17 जुलाई को है. केजरीवाल के वकीलों का मानना है कि आज के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ऐसा लग रहा है कि उन्हें यहां भी राहत मिल जाएगी. जब 17 जुलाई को केजरीवाल की जमानत को लेकर कोर्ट फैसला देगी तो निश्चित रूप से इस फैसले का जिक्र भी होगा.
जब सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में केजरीवाल को जमानत दे दी है तो, ईडी के मामले में ही करप्शन की जांच कर रही सीबीआई को 17 जुलाई को हाईकोर्ट में यह साबित करना होगा कि भ्रष्टाचार के मामले में उनकी न्यायिक हिरासत आगे भी जरूरी है. अगर सीबीआई इसके पक्ष में सबूत या तर्क रखने में विफल रहती है तो केजरीवाल को जमानत मिल सकती है.
आज कोर्ट ने क्या कहा
अब जेल में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली अरविंद केजरीवाल की याचिका को अब लार्जर बेंच के पास भेज दिया है. फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ पूछताछ से गिरफ्तारी नहीं हो सकती है.
-जस्टिस खन्ना ने कहा, "जीवन के अधिकार के संबंध में और चूंकि मामला बड़ी पीठ को भेजा गया है, इसलिए हम अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश देते हैं."
-हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि अंतरिम जमानत के सवाल को बड़ी पीठ द्वारा संशोधित किया जा सकता है. अदालत ने आगे कहा, "अरविंद केजरीवाल 90 दिनों से अधिक समय तक कारावास में रहे हैं, वे निर्वाचित नेता हैं और यह उन पर निर्भर है कि वे इस पद पर बने रहना चाहते हैं या नहीं."
-कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 19 और 45 के तहत ईडी के अधिकारों का हवाला दिया है. अदालत ने पीएमएलए की धारा 19 के प्रावधानों के पालन को लेकर भी सवाल खड़ा किया है.
-कोर्ट ने कहा कि हमने जमानत के सवाल को एग्जामिन नहीं किया है बल्कि पीएमएलए की धारा 19 के मापदंड़ों को परखा है. इन धाराओं की विस्तृत व्याख्या करने की जरूरत है.
-पीएमएलए की धारा 19 में गिरफ्तारी के नियमों की भी व्याख्या करने की जरूरत है. हमने पीएमएलए की धारा 19 और धारा 45 के बीच अंतर को समझाया है. पीएमएलए की धारा 19 अधिकारियों की व्यक्तिपरक राय है और इसकी न्यायिक समीक्षा हो सकती है. वहीं, धारा 45 का उपयोग अदालत ही कर सकती है.
आप का पोस्ट
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा, 'आज देश के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को को जमानत दी है.BJP ने दिल्ली के काम रोकने के लिए झूठे केस में अरविंद केजरीवाल जी को जेल में डालने की साज़िश रची है.'
केजरीवाल के वकीलों का बयान
इस फैसले के बाद अरविंद केजरीवाल के वकील ऋषिकेश कुमार ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने आज अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी है और धारा 19 और गिरफ्तारी की आवश्यकता के मुद्दे को एक बड़ी बेंच को भेज दिया गया है. मुख्यमंत्री केजरीवाल हिरासत में ही रहेंगे क्योंकि CBI मामले में उनकी जमानत अभी भी लंबित है.'
केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिए जाने पर केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वकील शादान फरासत ने कहा, 'अदालत ने कहा कि जहां तक उनकी गिरफ्तारी का सवाल है, गिरफ्तारी की आवश्यकता के कुछ पहलू हैं... उन्होंने कहा कि केजरीवाल पहले ही लंबे समय तक जेल में रह चुके हैं और इसलिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मामले में उनकी तुरंत रिहाई और जमानत का निर्देश दिया जाता है...'
क्या है धारा 19?
मनी लॉन्ड्रिंग कानून की धारा 19 ईडी को ये अधिकार देती है कि अगर सबूतों के आधार पर एजेंसी या जांच अधिकारी को लगता है कि कोई व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी है तो वो उसे गिरफ्तार कर सकती है. ऐसी गिरफ्तारी के लिए एजेंसी को बस आरोपी को कारण बताना होता है.
क्या है धारा 45?
PMLA की धारा 45 में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी को जमानत देने की दो शर्तें हैं. पहली शर्त है कि प्रथम दृष्टया लगना चाहिए कि आरोपी ने कोई अपराध नहीं किया है और अगर उसे जमानत पर रिहा किया जाता है तो कोई अपराध नहीं करेगा. और दूसरी शर्त ये है कि आरोपी को जमानत देने से पहले कोर्ट सरकारी वकील को बेल आवेदन का विरोध करने का मौका देगी.
21 मार्च को हुई थी गिरफ्तारी
दिल्ली के मुख्यमंत्री को 21 मार्च को ईडी ने नाटकीय तरीके से गिरफ्तार किया था, जिसने आरोप लगाया था कि केजरीवाल सहित आप नेताओं ने कुछ शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए अब समाप्त हो चुकी दिल्ली शराब नीति में खामियां पैदा करने के लिए आपराधिक साजिश रची थी.
चुनाव के दौरान मिली थी राहत
सुप्रीम कोर्ट की इसी पीठ ने मई में केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने के लिए दो सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत दी थी. जमानत अवधि समाप्त होने के बाद आप सुप्रीमो तिहाड़ जेल लौट आए थे.