तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में सांड-बैलों की दौड़ यानी जल्लीकट्टू, कंबाला और बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने वाले कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ आज गुरुवार को फैसला सुनाएगी. संविधान पीठ ने 8 दिसंबर 2022 को इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब सवा पांच महीने बाद इस मामले में संविधान पीठ फैसला सुनाने जा रही है.
दरअसल, मौजूदा याचिकाएं भारत सरकार की 7 जनवरी 2016 को जारी अधिसूचना को रद्द और निरस्त करने की गुहार लगाती हैं. जनहित की ये अर्जियां एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया बनाम ए नागराजा और अन्य के नाम से दाखिल हैं. ये मामला लंबित था, लेकिन इसी दौरान तमिलनाडु में पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (संशोधन) अधिनियम, 2017 पारित किया गया. बाद में इस संशोधन अधिनियम को रद्द करने की मांग करने के लिए रिट याचिकाओं को दाखिल किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने तब इस मामले को संविधान पीठ को सौंप दिया था और पूछा था कि क्या तमिलनाडु संविधान के अनुच्छेद 29(1) के तहत अपने सांस्कृतिक अधिकार के रूप में जलीकट्टू का संरक्षण कर सकता है जो नागरिकों के सांस्कृतिक अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी देता है. तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस रोहिंटन नरीमन की पीठ ने महसूस किया था कि जलीकट्टू के इर्द-गिर्द घूमती रिट याचिका में संविधान की व्याख्या से संबंधित पर्याप्त प्रश्न शामिल हैं. इसके बाद रिट याचिकाओं में उठाए गए सवालों के अलावा इस मामले में पांच सवालों के जवाब तय करने के लिए संविधान पीठ के पास भेजने की सिफारिश कर दी थी.