वाराणसी जिला अदालत ने व्यास परिवार को ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में पूजा का अधिकार बहाल कर दिया है. कोर्ट ने फैसला दिया कि 1993 तक तहखाने में मौजूद देव विग्रहों की पूजा करने के पारंपरिक अधिकार को बहाल किया जाता है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राखी सिंह और अन्य पक्षकारों की याचिका पर नोटिस जारी कर अन्य प्रतिपक्षी से जवाब मांगा. राखी सिंह और अन्य ने अपने दावे के शिवलिंग क्षेत्र और मुस्लिम दावे के मुताबिक वजूखाना इलाके का भी वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने की गुहार लगाई है.
एक और याचिका वाराणसी जिला अदालत में व्यास की अर्जी पर भी सुनवाई के लिए लंबित है. उन्होंने ज्ञानवापी परिसर में दक्षिणी तहखाने में मौजूद विग्रहों की पूजा का अधिकार बहाल करने की अर्जी लगाई है. उनका दावा है कि 1993 तक वो अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए तहखाने में स्थित देव प्रतिमाओं की पूजा सेवा करने जाते रहे हैं. लेकिन 1992 में अयोध्या काण्ड के बाद तत्कालीन राज्य सरकार ने उनके इस अधिकार को खत्म कर उन्हें आराध्य देवताओं की सेवा पूजा के अधिकार से वंचित कर दिया था.
1993 में रोक दी गई थी पूजा
इस केस में हिंदू पक्ष का दावा है कि नवंबर 1993 से पहले व्यास तहखाने में पूजा-पाठ को उस वक़्त की प्रदेश सरकार ने रुकवा दिया था. जिसको शुरू करने का पुनः अधिकार दिया जाए. वहीं, मुस्लिम पक्ष ने प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए याचिका को खारिज करने की मांग की थी.
लेकिन कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को अस्वीकार करते हुए हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा-पाठ करने का अधिकार दे दिया है.मालूम हो कि 17 जनवरी को व्यास जी के तहखाने को जिला प्रशासन ने कोर्ट के आदेश से अपने नियंत्रण में ले लिया था. ASI सर्वे के दौरान तहखाने की साफ-सफाई हुई थी. अब जिला जज ने अपने आदेश में कहा है कि विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों से पूजा कराई जाए.
बैरिकेडिंग हटाने की व्यवस्था की जाए. ये सब 7 दिन के अंदर किया जाए.आदेश के मुताबिक, जो व्यास जी का तहखाना है, अब उसके कस्टोडियन वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट हो गए हैं. इसीलिए विश्वनाथ मंदिर के जो पुजारी हैं वह उस तहखाने की साफ-सफाई करवाएंगे. वहां जो बैरिकेडिंग लगी हुई है, उस बैरिकेडिंग को हटाएंगे और फिर तहखाने के अंदर नियमित रूप से पूजा होगी.