scorecardresearch
 
Advertisement
खान पान

Murgh Musallam: अकबर के दस्तरखान का वो पकवान जो धीरे-धीरे खो रहा है अपनी पहचान!

अकबर के दस्तरखान पर परोसा जाने वाला पकवान (Photo-freepik)
  • 1/6

यूं तो मुगलों के दौर से भारत को कई खास तरह के पकवान मिले हैं, जिनकी अपनी एक कहानी.. अपना एक इतिहास है. भारत में ये कुछ इस तरह छा गए, मानो इनका वास्ता यहीं से हो, लेकिन आज हम आपको उस खास डिश के बारे बताने वाले हैं जो अकबर के दस्तरखान पर परोसा जाता था. हालांकि इसको पसंद करने वाले लोगों को अब इसके इतिहास में दफ्न होने का डर भी सताने लगा है. इस खास पकवान का नाम है मुर्ग मुसल्लम..

मुर्ग मुसल्लम का मतलब ( Photo-YouTube)
  • 2/6

मुर्ग मुसल्लम.. मुर्ग यानि मुर्गा और मुसल्लम मतलब पूरा..  मुसल्लम उर्दू का लफ्ज है, जिसमें इसका मतबल है पूरा, यानि की पूरा मुर्गा. मुर्ग मुसल्लम एक ऐसा व्यंजन है जिसमें पूरे चिकन को अदरक-लहसुन के पेस्ट में मैरीनेट किया जाता है और उबले हुए अंडे भरे जाते हैं और केसर, दालचीनी, लौंग, खसखस, इलायची और मिर्च जैसे मसालों के साथ पकाया जाता है. इसे सूखा या ग्रेवी दोनों में पकाया जा सकता है और बादाम और चांदी के वर्क से सजाया जाता है.
 

'आईन-ए-अकबरी' में मुर्ग मुसल्लम का उल्लेख  (Photo-Amazon)
  • 3/6

मुर्ग मुसल्लम का उल्लेख 'आईन-ए-अकबरी' (Administration of Akbar) में 'मुसम्मन' के तौर पर किया गया है. आईन-ए-अकबरी मुगल सम्राट अकबर के वज़ीर अबुल फ़ज़ल द्वारा लिखी गई है. इन्होंने अकबर की शाही रसोई को तीन भागों में बांटा है. पहला गोश्त वाले पकवान, दूसरा गोश्त और चावल वाले पकवान और तीसरा विदेशी मसालों और मेवों के साथ पकाया गया गोश्त. मुर्ग मुसल्लम इसी तीसरी श्रेणी में आता है.

Advertisement
सल्तनत काल में भी मुर्ग मुसल्लम का चलन ( (Photo-Pexels)
  • 4/6

हालांकि इसके शुरुआत के बात पर कई तरह के दावे किए जाते हैं. मुगल युग से पहले इब्न ए बतूता ने 'ट्रेसिंग द बाउंड्रीज़ बिटवीन हिंदी एंड उर्दू' पुस्तक में मुर्ग मुसल्लम को सुल्तान मुहम्मद इब्न तुगलक के दरबार का पकवान बताया गया है. 

सुल्तान मुहम्मद इब्न तुगलक द्वारा परोसा गया पकवान  (Photo-freepik)
  • 5/6

टाइम्स की खबर के मुताबिक, शेफ कुणाल कपूर ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि मुर्ग मुसलाम को सुल्तान मुहम्मद इब्न तुगलक द्वारा एक विदेशी काजी के लिए रात के खाने में परोसे गए पकवान के रूप में बताया गया है. इसमें भुने हुए मुर्गे को घी में पके चावल के साथ परोसा गया था. जिससे पता चलता है कि सल्तनत काल में भी मुर्ग मुसल्लम का चलन था.  'आईन-ए-अकबरी' में इसके बनाने का तरीका भी बताया गया है.

अवधी पकवान  (Photo-freepik)
  • 6/6

भारत में अब इसे अवधी दस्तरखान के पकवान के रूप में जाना जाता है और उत्तर भारत में खासकर उत्तर प्रदेश में खाया जाता है. हालांकि वक्त के साथ इसकी पहचान खत्म होती जा रही है और चलन से निकलता जा रहा है. शाही खानों के शौकीन लोग इस बात से दुखी हैं कि कहीं ये पकवान महज एक इतिहास बनकर न रह जाए.

Advertisement
Advertisement