Delhi Prisioners Food: दिल्ली की तिहाड़ जेल का नाम तो हर किसी ने सुना है, इसे अधिकतर लोगों ने हमेशा बाहर से देखा है. बड़ी-बड़ी दीवारें, लम्बा चौड़ा गेट. देखकर लगता है मानो इस बड़े-से गेट के पीछे दूसरी दुनिया है, जो हमारी आम जिन्दगी से काफी अलग है. तिहाड़ जेल के कैदी यकीनन उस गेट के पीछे सलाखों में किए गए जुर्म के लिए सजा काट रहे होते हैं. लेकिन यहां उन्हें अपने अंदर सुधार लाने का मौका भी दिया जाता है, साथ ही जेल से बाहर की दुनिया के साथ जुड़ने का अवसर मिलता है. इसी का एक हिस्सा तिहाड़ जेल की बेकरी है.
तिहाड़ जेल में सजा काट रहे कैदियों को इस बेकरी की मदद से कुछ नया सीखने, कुकिंग करने और बाहरी दुनिया से जुड़ने का जरिया मिलता है. कोई कैदी अगर कुकिंग से जुड़ा हुआ है, तो वह इसमें काम कर सकता है. इस बेकरी में बनाए जाने वाले प्रोडक्ट को बाहर बेचा जाता है.
हम इस बेकरी का जिक्र इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि देश की राजधानी दिल्ली में 11 एवं 12 फरवरी 2023 को जी-20 फूड फेस्टिवल का आयोजन किया गया. जिसमें देश के विभिन्न राज्यों के साथ विदेश के फूड का स्वाद भी चखने को मिला. फूड फेस्टिवल में लगे दर्जनों स्टॉल में से एक स्टॉल तिहाड़ बेकरी का है, जहां कैदियों द्वारा बनाई गई स्वादिष्ट डिशों को देश और दुनियाभर से आए लोग चख रहे हैं.
इस फूड फेस्टिवल में जापान, मेक्सिको, चीन, तुर्की जैसे देशों, भारत के अलग-अलग राज्यों की डिश मिल रही हैं. इन सबके बीच तिहाड़ बेकरी स्टॉल फेस्टिवल में अलग ही सुर्खियां बटौर रहा है. लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है.
जलेबी छान रहे पूर्व कैदी
दिल्ली पुलिस द्वारा लगाए गए तिहाड़ स्कूल ऑफ बेकरी पर आपको कैदियों द्वारा बनाए गई जलेबी, मठरी, तिल से बनने वाली चीज़ें और महिला कैदियों द्वारा बनाया गया स्पेशल अचार भी मिलेगा. इस स्टॉल पर आपको दो लोग गरमागरम जलेबी छानते हुए दिखेंगे, ये दोनों कैदी थे और तिहाड़ जेल में सजा काट चुके हैं.
स्टॉल पर मौजूद महिला हेड कॉन्स्टेबल नीतू यादव ने इनके बारे में बताया कि दोनों पहले तिहाड़ जेल के कैदी थे और अपनी सजा खत्म होने के बाद उन्होंने जलेबी की स्टॉल लगाकर कमाई करना शुरू किया. तिहाड़ बेकरी के काम से दोनों को कई बार बुलाया जाता है और इसके लिए उन्हें पेमेंट भी किया जाता है.
तिहाड़ की जेल नंबर-2 के सुप्रीटेंडेंट प्रेम सिंह मीणा कहते हैं कि इन दोनों की सजा 2020 में खत्म हो गई थी, जेल से छूटने के बाद समाज में वापस अपनी पहचान बनाने और घर चलाने के लिए दोनों ने जलेबी बनाना शुरू किया. दोनों तिहाड़ बेकरी में भी काम करते हैं और अभी कैदियों को कुकिंग भी सिखाते हैं.
खुद इन पूर्व कैदियों ने बताया कि जेल में सजा पूरी होने के बाद उन्होंने दिल्ली में ही एक जलेबी का स्टॉल लगाया. क्या कैदियों को भी यह प्रोडक्ट खाने को मिलता है, जब हमने यह सवाल किया तब प्रेम सिंह मीणा ने बताया कि कैदियों को नाश्ते में चाय के साथ बेकरी की ब्रेड मिलती है. हालांकि, सभी प्रोडक्ट उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं.
तिहाड़ बेकरी में हो रही बंपर कमाई
बता दें कि तिहाड़ बेकरी में बनने वाले प्रोडक्ट्स को मार्केट में बेचने के अलावा कई सरकारी दफ्तर, एम्पोरियम, जिला कोर्ट की कैन्टीन में भी दिया जाता है. बता दें कि तिहाड़ बेकरी स्कूल को पहले सरकार द्वारा फंड किया जाता था, लेकिन अब बेकरी खुद ही अपना रेवेन्यू कमा रही है ऐसे में प्रोडक्ट से होने वाली कमाई का इस्तेमाल बेकरी और उससे जुड़े कामों में किया जाता है, साथ ही कुछ पैसा वेलफेयर फंड में जाता है.
अगर आप फूड फेस्टिवल में जाएं तो आपको अलग-अलग स्टॉल मिलेंगी, जिनमें शुरुआत में ही यह Delhi Prisoners स्टॉल भी है. इस स्टॉल पर आपको जलेबी, रबड़ी, बर्गर, अचार, मठरी, बिस्किट, पैक्ड समोसे, नमकीन समेत तरह-तरह के आइटम मिलेंगे. स्टॉल पर लगी भीड़ देखकर ही आप समझ जाएंगे कि खाना वाकई बहुत स्वादिष्ट है.