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बकरीद पर मटन में एक से बढ़कर एक डिशेज़ तैयार की जाएंगी. इसके लिए मटन के हर पीस की अलग-अलग पहचान करके की तरह-तरह की डिशेज़ बनाई जाती हैं. अगर आप इन्हें बनाने का सोच रहे हैं तो मटन के हर पीस की सही पहचान आपको पता होनी चाहिए ताकि आप देखते ही बता दें कि आपको कौन-से पीस की जरूरत है, यह जानना भी जरूरी है कि मटन के किस पीस से कौन-सी डिश बनाई जाती है.
रेड मीट के शौकीन लोग मटन यानी बकरे का मीट के कबाब से लेकर मटन बिरयानी, मटन करी, कीमा, मटन कोरमा और पाया (खरोड़े) के सूप तक...कई अगल-अलग तरह की डिश खाना पसंद करते हैं. लेकिन क्या आपतो पता है कि मटन के किस पीस से कौन-सी डिश तैयार की जाती है. आपको ये जानकारी जरूर होनी चाहिए कि बकरे के मीट से क्या डिश बनानी है और किस हिस्से के गोश्त से क्या बनाया जा सकता है.
भेजा (Brain): भेजा यानि बकरे का दिमाग. बकरे के दिमागी हिस्से को खाने के लिए खूब इस्तेमाल किया जाता है और लोग इसे बहुत ही शौक के साथ खाते हैं. पहचान की बात की जाए तो ये एकदम इंसानी दिमाग की तरह होता है, जो हल्के गुलाबी रंग का होता है. इसे बकरे के मकज़ के नाम से भी जाना जाता है. वहीं, पके हुए की बात करें तो ये एकदम अंडे की भुर्जी जैसा नजर आता है. बकरे के भेजे की फेमस डिश भेजा फ्राई है, जो देशभर में खाई और पसंद की जाती है. इसके साथ ही ये सेहत से भरपूर भी माना जाता है. ये आंखों, दिमाग और नर्वस सिस्टम के लिए फायदेमंद होता है.
गर्दन (Neck): बकरे की गर्दन को भी खाने में इस्तेमाल किया जाता है. इस हिस्से का मीट मुलायम और कम रेशे वाला गोश्त होता है. इसमें कम चिकनाई भी पाई जाती है. गर्दन के गोश्त से आप कई तरह की डिश बना सकते हैं, लेकिन इसका सही उपयोग स्टू के लिए किया जाता है. हड्डी वाले गोश्त के साथ बिरयानी खाना चाहते हैं तो भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
अगली दस्त का गोश्त (Shoulder): ये बकरे के कंधे का गोश्त होता है. ये हिस्सा मुलायम और हलकी चिकनाई से भरपूर होता है. ये गोश्त ग्रिल करने के लिए सही नहीं होता है, लेकिन इसका कोरमा और कीमा के लिए इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि इसके पूरे हिस्से को रोस्ट करके खाया जा सकता है. भारतीय पकवान की बात की जाए तो अगली दस्त का गोश्त पसंदा बनाने के लिए सबसे बेहतर माना जाता है.
सीने का मीट (Breast): बकरे के सीने का गोश्त बेहद वसायुक्त यानि चिकनाई युक्त होता है, जो उबाल कर बनाई जाने वाली चीज के लिए खास इस्तेमाल किया जाता है. इसे सूप के लिए सही माना जाता है तो कश्मीर के इलाके में मशहूर डिश गोश्ताबा इसी हिस्से के गोश्त से बनाया जाता है. सीने से अगले और मोटे हिस्से को बिरायानी में इस्तेमाल कर सकते हैं और कोरमा के लिए भी उपयोग किया जाता है.
पसलियां (Rack): चाप के नाम से मशहूर बकरे का ये हिस्सा कंधे के नीचे होता है, जिसको कसाई से पंजे या चाप का गोश्त बोलकर मांग सकते. इसका मीट मुलायम और जायके वाला होता है. हड्डियों वाला होता है और गोश्त के रेशों के बीच में चिकनाई होती है. हालांकि इसमें सीने के गोश्त के मुकाबले चिकनाई कम होती है. ये रोस्ट करके खाने के लिए बेहतर होता है. पकवान में बकरे के चाप को खास पहचान मिली हुई है. इसके अलावा मटन कोरमा और बिरयानी में भी इस्तेमाल किया जाता है.
पुठ का गोस्त (loin): बकरे का ये हिस्सा उसके रीड़ से लेकर कमर तक का गोश्त होता है, ये पसलियों के बाद का और पैरों से पहले का हिस्सा होता है. इसमें हड्डियों के साथ गोश्त भरपूर होता है. ये गोश्त मटन करी के लिए सबसे अच्छा होता है. इस हिस्से को हड्डियों के साथ या बिना हड्डियों के साथ भी पकाया जा सकता है.
रान (Upper part of leg): ये बकरे के पैर के ऊपरी हिस्से का मीट होता है, जो बहुत कम वसा वाला कोमल मांस होता है. इसका इस्तेमाल बिना हड्डी वाले गोश्त के लिए किया जाता है. तंदूर में पूरी रान को ग्रिल करके बनाते हैं. मटन बर्रा के तौर पर इस्तेमाल करते हैं, लेकिन खासकर गोल बोटी, कीमा और कबाब के लिए इसका प्रयोग किया जाता है. सीक कबाब, गलावटी कबाब, शामी कबाब में रान का गोश्त और गुर्दे की चर्बी इस्तेमाल की जाती है. बिरयानी के लिए भी रान का गोश्त लिया जाता है. रान के नल्ली वाले गोश्त को निहारी में भी इस्तेमाल करते हैं.
बोंग (Lower part of leg/Shank): ये बकरे के पैर का ऊपरी हिस्सा होता है यानी पाया से ऊपर और रान के नीचे वाला हिस्सा. यह भाग बहुत अधिक वसायुक्त नहीं होता है और इसमें ढेर सारी छोटी-छोटी हड्डियां होती हैं. इसे सूप के लिए बिल्कुल सही माना जाता है. इसके अलावा मटन निहारी के लिए सबसे उपयुक्त गोश्त माना जाता है. बोंग के गोश्त का इस्तेमाल स्टू में भी करते हैं और नल्ली के साथ बनाने में इसका अपना अलग जायका होता है. बिरयानी में अगर नल्ली और मुलायम गोश्त खाना चाहते हैं ये तो जरूर लें.
पाया (Foot): पाया यानि पैर. बकरे के पैर के हिस्से को खरोड़े के नाम से जाना जाता है. ये पूरा हड्डी वाला हिस्सा होता है, जिसमें मींग (Bone Marrow) खाई जाती है. इसे जोड़ों या स्किन के लिए फायदेमंद माना जाता है. किसी की हड्डी में फ्रैक्चर आने पर भी डॉक्टर इससे बने सूप को पीने की सलाह देते हैं. सर्दी के मौसम में बकरे के पाया की डिमांड काफी बढ़ जाती है. पाया को निहारी में भी डाला जाता है, जिससे जायका काफी उम्दा हो जाता है.
कलेजी (liver): बकरे का लीवर यानी कलेजी इसके सबसे स्वादिष्ट भागों में से एक है. ये विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में इस्तेमाल की जाती है हालांकि बकरे की कलेजी अपने आप में एक जायकेदार और सेहत से भरपूर पकवान है. ये गहरे लाल रंग का चिकना हिस्सा होता है और इसमें हड्डी या मांस जैसा कुछ नहीं होता. टिक्के के तौर पर भी कलेजी को उपयोग करते हैं.
गुर्दा (Kidney): बकरे के गुर्दा वाला हिस्सा चिकनाई से भरपूर होता है. इससे अलग से तो कोई पकवान नहीं बनाया जाता. हालांकि इसकी चिकनाई को कबाबों में इस्तेमाल किया जाता है. गुर्दे को कलेजी के साथ भी बनाकर खाते हैं तो रोस्ट करके भी खाया जाता है. टिक्के के तौर पर गुर्दे का इस्तेमाल करते हैं.
दिल (Heart): बकरे के दिल को गले की नली के साथ बनाया जाता है. दिल में चर्बी नहीं होती है, लेकिन ऊपरी हिस्से में हलकी से चिकनाई होती है. हालांकि, कुछ लोग दिल, फेफेड़े और तिल को एक साथ बनाकर खाते हैं तो कुछ लोग सिर्फ दिल को कलेजी और गुर्दे के साथ खाते हैं.