आलू से भरा हुआ.. तेल में छना हुआ.. गर्मागरम समोसा आपने जरूर खाया होगा. भारत में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले स्ट्रीट फूड में शुमार समोसे का स्वाद और नाम हर किसी भी जुबान पर रहता है. समोसा इतना लोकप्रिय है कि चाहे घर में कोई मेहमान आया हो या भूख मिटानी हो, समोसा हरी चटनी के साथ घरों की डाइनिंग टेबल पर अपनी जगह बना ही लेता है. नुक्कड़ से लेकर 5 स्टार होटल में मिलने वाली इस डिश ने हिंदुस्तानियों के दिल में खास जगह बनाई हुई है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है पहला समोसा किसने चखा? या पहला समोसा कब बना?
भारत में समोसे ने शाही दस्तरखान से लेकर स्ट्रीट फूड तक का सफर तय किया है. ईरान के इतिहासकार अबुल फजल बेयागी द्वारा लिखी गई किताब में समोसे का क्या जिक्र है, जिससे पता चलता है कि समोसा आज से हजार से भी ज्यादा साल पहले 10वीं सदी में मध्य पूर्व एशिया में जन्मा था. इस दौरान पूर्वी एशिया के लोग समोसे को सम्बोसा कहा करते थे.
14वीं सदी में भारत पहुंचा समोसा
शुरुआत में समोसे में मेवे को भरकर तेल में तला जाता था. इस स्वादिष्ट डिश का भारतीय इतिहास 14वीं सदी से शुरू होता है. दरअसल, 14वीं सदी में जब कुछ व्यापारी मध्य पूर्वी एशिया से दक्षिण एशिया आए तो वह अपने साथ खाने-पीने का इंतजाम करके चले और उनके झोले में चला आया समोसा. जब समोसा भारत पहुंचा तो खुसरो अमीर को भी इसका स्वाद बहुत पसंद आया और उन्होंने अपनी शाही रसोई में इसे जगह दी. जो भी इसे चखता गया यह हर किसी की जुबान पर हमेशा के लिए रह गया.
भारत में समोसा का दोस्त बना आलू
बता दें कि इजराइल, म्यांमार, पुर्तगाल से लेकर अफ्रीका तक में समोसा पसंदीदा है लेकिन हर समोसे का स्वाद अलग है, जिसमें भारत के समोसा का स्वाद यकीनन टॉप पर कहा जा सकता है क्योंकि यहां समोसे का साथ दिया सबके पसंदीदा, सबके दोस्त आलू ने. बाकी सब्जियों की तरह आलू ने समोसे को भी अपना दोस्त बना लिया है और दोनों की जोड़ी अभी तक चली आ रही है.
समोसे के नामकरण
समोसा सिर्फ आलू का नहीं बल्कि समोसे के कई रूप, कई रंग और तरह-तरह के नाम हैं. माना जाता है कि पहला समोसा मास, प्याज और कुछ मेवों के मिश्रण के साथ बनाया जाता था और यह कहलाता था सन्बूसक. नेपाल में समोसे को सिंगाड़ा कहा जाता है, अफ्रीका में सम्बूसा, इजराइल में सन्बूसक, पुर्तगाल में चमूकस. सिर्फ विदेशों में ही नहीं बल्कि भारत में भी समोसे के कई नामकरण हुए हैं. साथ ही इसे बनाने के भी यहां कई तरीके हैं. बंगाल के समोसे को सिंघाड़ा कहा जाता है जिसे मटन या फिश के साथ तैयार किया जाता है और अगर मीठा हो तो इसमें खोया भरा जाता है और चाशनी का इस्तेमाल भी किया जाता है.
भोजन इतिहासकार पुष्पेश पंत ने समोसे को लेकर कही ये बात
भोजन इतिहासकार पुष्पेश पंत भी समोसे का जिक्र करते हैं और बताते हैं कि समोसे को आधितकर लोग भारतीय मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. यह बाहर से आया है और कई जगह समोसे को बेक भी किया जाता है, कुछ जगह ये घोड़े के मांस से बनाया जाता है. समोसा बाहर से कैसा भी आया हो लेकिन उसने भारतीय रूप लिया है और अलग-अलग क्षेत्रों में इसके अलग प्रकार देखने को मिलते हैं.
Whose Samosa is it Anyway? क्या कहती बै सोनल वेद की किताब
समोसे के बारे में अगर ज्यादा जानने निकलें तो कुछ वक्त पहले रिलीज हुई एक किताब में विस्तार से इसका जिक्र मिलता है. सोनल वेद की किताब Whose Samosa is it Anyway?: The Story of Where 'Indian' Food Really Came From’ में समोसे के बारे में बताया गया है कि समोसे को पहले फ्राइड फ्लोर पेस्ट्रीज़ कहा जाता था जिसको तरह-तरह के मीट और बीफ की स्टफिंग करके तेल में फ्राई किया जाता था. ‘Sanbusa’ का जिक्र एशियन इसलामिक और ईरानी कल्चर में भी होता है. समोसा का नाम समसा से लिया गया है, जो मध्य एशियाई पिरामिड की याद दिलाते हैं और उनसे ही प्रेरित होकर यह बनाए गए हैं. इतिहास की कई किताबों में इन्हें सन्बूसक, सन्बूसज बुलाया गया है.
Keema Samosa: मटन की स्टफिंग के साथ ऐसे तैयार करें कीमा समोसा, स्टाटर्स के लिए है परफेक्ट
देश एक, स्वाद अनेक
भारत में समोसे को भी कई रूप मिले हैं. अगर आप बंगाल की तरफ जाएं तो वहां आपको आलू और मूंगफली के साथ-साथ मटन के भरवां समोसे मिलेंगे जिसे बंगाल के लोग सिंघाड़ा नाम से पुकारते हैं. हैदराबाद के आलू समोसे का भी जवाब नहीं है. यहां समोसे को लपेटने का तरीका इसे बाकियों से अलग बनाता है. यहां आपको तिकोने साइज में लपेटे हुए समोसे मिलेंगे. इसके अलावा हैदराबाद में आपको मोमोज की तरह दिखने वाले समोसे पोटली में नजर आएंगे, जिनमें कीमे की भरावन की जाती है. वहीं उत्तर प्रदेश, दिल्ली में आपको आलू के समोसे का स्वाद मिलेगा.