
भारत के कई हिस्सों में शराब को 'वाइन' और इनकी दुकानों को आम बोलचाल में 'वाइन शॉप' कहते हैं. हालांकि, सही मायने में इन्हें लिकर (Liquor) या (Spirit) कहना ही सही है लेकिन बहुत सारे लोग वाइन को शराब का ही पर्यायवाची मानते हैं. वाइन और लिकर दोनों अलग चीजें हैं, अगर ये समझते हैं तो दोनों में असल फर्क क्या है, यह जानना भी जरूरी है.
हालांकि, पहले यह जान लेते हैं कि भारतीयों को शराब को वाइन कहने की आदत कैसे पड़ी? जानकार मानते हैं कि पुराने वक्त में जब शराब की इतनी वैराइटी उपलब्ध नहीं थीं तो वाइन ही आसानी से मिलती थी. और तो और, यह सिर्फ अमीरों और अभिजात्य वर्ग तक ही सीमित था.
यह वो दौर था जब डिस्टिलेशन की प्रक्रिया के लिए उन्नत मशीनों का ईजाद नहीं हुआ था. वहीं, वाइन बनाने के लिए किसी किस्म की मॉडर्न मशीनरी की जरूरत नहीं थी. ऐसे में उपलब्धता और स्वीकार्यता के परिप्रेक्ष्य में आम लोगों ने वाइन को ही शराब कहना शुरू कर दिया.
ऐसे शराब का पर्यायवाची बना 'वाइन'
औद्योगिक और तकनीकी विकास के साथ-साथ शराब की कई नई किस्में उपलब्ध होती गईं. व्हिस्की, ब्रांडी, रम, वोदका और न जाने क्या-क्या. लोगों की जेब के हिसाब से सस्ती से लेकर बेहद महंगी वाली तक. वाइन से इतर शराब की ये वैराइटी लोगों को भी बहुत पसंद आई क्योंकि ये वाइन की तुलना में सस्ते थे बल्कि तुरंत नशा देने वाले भी.
आम जनता के लिए तो शराब का मतलब ही नशा करना था, ऐसे में डिस्टिलेशन की प्रक्रिया से तैयार होने वाले एल्कोहलिक स्पिरिट जैसे व्हिस्की, वोदका से लेकर देसी शराब तक वक्त के साथ साथ लोकप्रिय होते चले गए. वाइन से वैसा नशा मिलना मुमकिन नहीं, इसलिए वे सीमित लोगों की पसंद बनती गई.
वहीं, जिन दुकानों पर इतनी तरह की शराब की बिक्री शुरू हुई, वहां वाइन पहले से उपलब्ध थी. चूंकि, लोगों की जुबान पर वाइन शब्द ही चढ़ा हुआ था तो वे हर किस्म की शराब को आम बोलचाल में वाइन ही कहने लगे और इन दुकानों को वाइन शॉप. जानकार यह भी मानते हैं कि आम भारतीयों को 'वाइन' कहना कुलीन होने का अनुभव कराता है, इसलिए इस शब्द की स्वीकार्यता और ज्यादा है.
What is Wine: वाइन क्या है?
वाइन और स्पिरिट में समानता और इनके बीच का फर्क समझिए. दोनों में समानता यही है कि दोनों में एल्कॉहल मौजूद है, जो नशे की वजह बनता है. वाइन एक एल्कोहलिक ड्रिंक है. हालांकि, हर एल्कोहलिक ड्रिंक वाइन हो, यह जरूरी नहीं है. एल्कोहलिक ड्रिंक वे होते हैं जिसमें नशे के लिए इथाइल एल्कॉहल मिला होता है.
इन एल्कोहलिक ड्रिंक्स को तीन कैटिगरी में बांट सकते हैं. वाइन, स्पिरिट और बीयर. पहले बात वाइन की. वाइन एक ऐसी एल्कोहलिक ड्रिंक है, जिसे आम तौर पर अंगूर के जूस के किण्वन (Fermentation) की प्रक्रिया से तैयार किया जाता है. अगर अंगूर की जगह कोई दूसरा फल या अनाज इस्तेमाल हुआ है तो उसे उसके नाम पर मसलन-राइस वाइन, पॉमाग्रेनेट वाइन, एल्डरबेरी वाइन ही पुकारा जाता है.
इस बात के सबूत मिलते हैं कि इंसान वाइन हजारों साल से बना रहा है. चूंकि, इसे बनाने में इस्तेमाल अंगूर या दूसरे फल या अनाज से लेकर यीस्ट तक में अंतर होता है, इसलिए वाइन की भी कई तरह की किस्में होती हैं. आम तौर पर इसमें एल्कॉहल की प्रतिशतता 6-15 प्रतिशत तक होती है. वाइन मुख्य तौर पर दो तरह की होती है, वाइट वाइन और रेड वाइन. वाइन को तैयार करने में डिस्टिलेशन की प्रक्रिया नहीं होती.
What is Spirit: स्पिरिट क्या है?
स्पिरिट या लिकर (Spirit or liquor) को तैयार करने के लिए पहले किण्वन (Fermentation) और बाद में डिस्टिलेशन (distillation) की प्रक्रिया अपनाई जाती है. लिकर बनाने के लिए विभिन्न किस्म के अनाज, गन्ना या वे पदार्थ जिनमें प्राकृतिक तौर पर शुगर मौजूद हो, का इस्तेमाल किया जाता है. शुरुआत में इन अव्यवों का किण्वन (Fermentation) किया जाता है.\
इसके बाद, इन्हें जटिल डिस्टिलेशन की प्रक्रिया से गुजरकर लिकर या स्पिरिट तैयार होता है. डिस्टिलेशन की प्रक्रिया के तहत फमर्टेंटेड अव्यवों को एक गर्म कंटेनर में रखा जाता है. इससे एल्कॉहल वाष्पित होकर कंटेंनर में इकट्ठा होता है और मशीन से ठंडा करने के बाद एल्कॉहल की बूंदें इकट्ठा कर ली जाती हैं.
दरअसल, स्पिरिट लैटिन शब्द “spiritus” से बना है, जिसका मतलब है “breath” या सांस. माना जाता है कि इसका कनेक्शन डिस्टिलेशन की प्रक्रिया में कंटेनर में इकट्ठा शराब की भाप से है. एल्कोहलिक ड्रिंक्स मसलन- ब्रांडी, रम, वोदका, जिन, टकीला, विस्की, स्कॉच आदि डिस्टिलेशन की प्रक्रिया से तैयार किए जाते हैं, इसलिए इन्हें स्पिरिट का लिकर की श्रेणी में रखा जाता है.
वाइन के मुकाबले स्पिरिट्स में पानी की मात्रा कम बल्कि एल्कॉहलिक पर्सेंटेज काफी ज्यादा होती है. मसलन, व्हिस्की में आम तौर पर एल्कॉहल की तीव्रता 42% होती है. कुछ-कुछ स्पिरिट तो 90% तीव्रता वाले होते हैं. वहीं, स्पिरिट में तेज एल्कॉहल की वजह से इन्हें वाइन के मुकाबले कम मात्रा में पीया जाता है.