कैंसर एक बेहद खतरनाक बीमारी है. शरीर में इस बीमारी का पता लगने पर लोग बहुत डर जाते हैं. लेकिन हमें इससे तब तक नहीं घबराना चाहिए जब तक ये हमारे शरीर को नुकसान न पहुंचाने लगे. 'शरण इंडिया' की फाउंडर डॉ. नंदिता शाह कहती हैं कि कैंसर से डरने की बजाय उसकी रोकथाम और इलाज को लेकर जागरुक रहना ज्यादा जरूरी है. एक्सपर्ट ने बताया कि आखिर कैसे इंसान इस बीमारी को नैचुरल तरीके से भी कंट्रोल कर सकता है.
डॉ. नंदिता शाह ने हमारे फिट तक चैनल के माध्यम से कहा, 'कैंसर से बचने के लिए सबसे पहले बीमारी के मूल कारण का पता लगाना जरूरी है. आमतौर पर कैंसर का इलाज सर्जरी, कीमोथैरेपी और रेडिएशन के माध्यम से किया जाता है. जबकि इस प्रकार से इलाज की कुछ खामियां भी होती हैं.'
डॉ. शाह कहती हैं कि इलाज का पहला तरीका यानी सर्जरी कैंसर को जड़ से खत्म कर पाने में सक्षम नहीं है और इंसान फिर से इस बीमारी का शिकार हो सकता है. इसी तरह कीमोथैरेपी भी एक प्रकार का जहर है. कई कीमोथैरेप्यूटिक एजेंट्स कार्सिनोजेंस होते हैं. फिर भी डॉक्टर इसका इलाज में इस्तेमाल करते हैं.
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डॉ. शाह ने बताया कि कैंसर सेल्स बड़ी तेजी से विकसित होते हैं और कीमोथैरेपी इन सेल्स को तेजी से खत्म करने का काम करती है. हालांकि कीमोथैरेपी के बाद इंसान का ब्लड काउंट घट जाता है. शरीर के तमाम हिस्सों से बाल उड़ने लगते हैं. भूख खत्म हो जाती है और डायजेस्टिव सिस्टम खराब हो जाता है. ये सब इसलिए होता है कि क्योंकि कीमोथैरेप्यूटिक एजेंट्स आंतों के अंदर माइक्रोबायल फ्लॉरा को नष्ट कर देते हैं.
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एक कीमोथैरेपी मरीज को दस एंटीबायोटिक्स एक साथ देने जितना खतरनाक है और आप ये बखूबी जानते होंगे कि एंटीबायोटिक्स लेने से हमारे शरीर को कितने नुकसान हो सकते हैं. इसके अलावा कैंसर में रेडिएशन से इलाज भी जोखिभरा हो सकता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि हाई एनेर्जी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन भी कैंसर का एक कारण हो सकता है.
डॉ. नंदिता शाह कहती हैं कि इस प्रकार के इलाज को पूरी तरह से एवॉइड करना संभव नहीं है. हालांकि इन्हें मिनिमाइज करना जरूरी है. इसके लिए कुछ ऐसे कैंसर सर्वाइवर्स से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होंने इस बीमारी को हराया है. डॉ. नंदिता शाह ने इस विषय में 'क्रिस बीट कैंसर' के लेखक क्रिस वॉर्क का जिक्र किया है.
क्रिस वॉर्क कोलोरेक्टल कैंसर से पीड़ित थे. वह जवान थे. नई-नई शादी हुई थी और वो पिता बनना चाहते थे. क्रिस मेडिकल ट्रीटमेंट के जरिए इस बीमारी का इलाज नहीं चाहते थे. इसलिए उन्होंने कैंसर को हराने का एक अलग ही तरीका चुना. जैसा कि दुनियाभर में कई लोग करते भी हैं.
क्रिस ने अपनी डाइट में ताजा सब्जियों और फलों का सेवन करना शुरू किया. उन्होंने कच्ची सब्जियां खाना शुरू किया. मानव के अलावा दुनिया की सभी प्रजाति फल-सब्जियों को कच्चा ही खाती हैं.
इसके अलावा क्रिस ने रिफाइनरी प्रोडक्ट्स से एकदम दूरी बना ली. शुगर, सफेद आटा, सफेद चावल और तमाम तरह के रिफाइनरी ऑयल अब उनकी थाली से दूर हो चुके थे. क्रिस ने एनिमल प्रोडक्ट पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगा दी.
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क्रिस के लाइफस्टाइल में अचानक बदलाव आया था. वे धीरे-धीरे अपने लक्ष्य निर्धारित कर रहे थे. कैंसर से लड़ते हुए क्रिस ने अपने अनुभव को शब्दों में पिरोना शुरू कर दिया था. उन्होंने अपने कैंसर पर पूरी कहानी लिख दी थी. क्रिस आज पूरी तरह से ठीक हैं और उनके दो बच्चे हैं जो काफी बड़े हो चुके हैं.
डॉ. शाह कहती हैं कि क्रिस की रिकवरी के पीछे उनका मजबूत इरादा था, जिसने बीमारी के सामने उन्हें कभी झुकने नहीं दिया. आमतौर पर जब लोगों को कैंसर होता है तो सबसे पहले उनके जेहन में एक ही बात आती है कि आखिर ये मेरे साथ ही क्यों हुआ. जबकि ऐसी बीमारी में हमें स्टेट ऑफ माइंड चेंज करने की जरूरत होती है. आराम, तनाव, एक्सरसाइज, खान-पान और लाइफस्टाइल में बदलाव के जरिए बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है.
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