कोरोना वायरस के अबतक कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जहां ठीक हो जाने के कुछ दिनों के बाद लोग फिर से संक्रमित पाए जा रहे हैं. शोधकर्ताओं ने पहली बार फिर से संक्रमित होने वाले मामलों पर बनाए दस्तावेज जारी किए हैं. क्लिनिकल इंफेक्शियस डिजीज नामक पत्रिका में प्रकाशित स्टडी के अनुसार ताजा मामला हॉन्ग कॉन्ग से आया है. हॉन्ग कॉन्ग में 33 साल के एक सेहतमंद व्यक्ति को Covid-19 होने के बाद मार्च के महीने में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. ठीक होने के कुछ दिनों बाद उसे अस्पताल से छुट्टा मिल गई थी.
लगभग चार महीने के बाद ये व्यक्ति फिर से कोरोना वायरस संक्रमित पाया गया. स्पेन से लौटने के बाद हॉन्ग कॉन्ग एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग के दौरान इस व्यक्ति के कोरोना होने की पुष्टि हुई. हॉन्ग कॉन्ग में इस तरह का ये पहला मामला सामने आया है. शोधकर्ताओं के अनुसार हॉन्ग कॉन्ग के इस मामले से दो अहम बातें निकल कर सामने आती हैं.
पहली बात ये है कि जैसे-जैसे कोरोना वायरस महामारी और फैलेगी, वैसे-वैसे इस तरह के और मामले सामने आएंगे. दूसरी बात ये कि दोबारा संक्रमित होने के बाद व्यक्ति में कोरोना के हल्के लक्षण ही नजर आते हैं. ये इस बात का संकेत है कि पहली बार वायरस के हमले के बाद इम्यून सिस्टम बहुत मजबूती के साथ रिस्पॉन्स देता है, जिससे पता चलता है कि दूसरी बार का संक्रमण बहुत हल्का हो सकता है.
वायरस का आनुवंशिक विश्लेषण करते हुए शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि ये व्यक्ति दो SARS-CoV-2 के अलग-अलग स्ट्रेन से संक्रमित हुआ है. इसका मतलब ये है कि या तो इस व्यक्ति की रिपोर्ट या तो गलती से पॉजिटिव आई है या फिर ये व्यक्ति उन लोगों में से एक है जिनमें वायरल का RNA कई महीनों तक रहता है. अमेरिका के एमोरी वैक्सीन सेंटर की प्रोफेसर सिंथिया डेरडेन का कहना है कि जो लोग कोरोना महामारी में जल्दी संक्रमित हो जाते हैं उन लोगों में ये चार से पांच महीने तक बना रह सकता है. जिसकी वजह से व्यक्ति फिर से संक्रमित हो सकता है. हो सकता है कि ऐसे मामले और आएं.'
वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के इम्यूनोलॉजी विभाग की प्रोफेसर लॉरेन रोड्डा ने शोधकर्ताओं के दावे पर सहमति जताई है कि एक व्यक्ति वायरस के दो अलग-अलग स्ट्रेन से भी संक्रमित हो सकता है. इस स्टडी से इम्यूनिटी की भूमिका के बारे में भी पता चलता है. रोड्डा ने कहा, 'वायरस से इम्यून होने का मतलब ये नहीं है कि कोई व्यक्ति फिर से संक्रमित नहीं हो सकता है. हालांकि दूसरी बार संक्रमित हुए व्यक्ति में लक्षण नहीं आते हैं और वो संक्रामक भी नहीं रहता है. दूसरी बार का संक्रमण आसानी सी कंट्रोल किया जा सकता है.'
प्री-प्रिंट सर्वर MedRXiv पर पिछले हफ्ते पोस्ट की गई एक केस रिपोर्ट से पता चलता है कि एंटीबॉडी संक्रमण और बीमारी को रोक सकती है. लेकिन दोबारा संक्रमित हो रहे मामलों से पता चलता है कि एंटीबॉडी होने के बाद भी व्यक्ति दोबारा संक्रमित हो सकता है हालांकि एंटीबॉडी किसी भी तरह वायरस से सुरक्षा को कम नहीं करती है.
हालांकि, इस स्टडी के लेखकों का मानना है कि एंटीबॉडी के कम स्तर की वजह से भी दूसरी बार संक्रमण हो सकता है. सिंथिया डेरडेन का कहना है कि दूसरी बार संक्रमित होना कोई चिंता की बात नहीं है. वहीं लॉरेन रोड्डा का कहना है कि इम्यून सिस्टम अपना काम पूरी तरह से कर रहा है.