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सेहत

National Epilepsy Day 2020: मिर्गी का दौरा पड़ने की क्या है वजह? जानें इसके लक्षण और बचाव

क्यों पड़ता है मिर्गी का दौरा?
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मिर्गी (Epilepsy) एक न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है, जिससे दिमाग में असामान्य तरंगें पैदा होती हैं. दिमाग में गड़बड़ी के चलते इंसान को बार-बार दौरे पड़ने लगते हैं. दौरा पड़ने पर दिमागी संतुलन बिगड़ जाता है और शरीर लड़खड़ाने लगता है. इस भयंकर बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए भारत में हर साल 17 नवंबर को 'नेशनल एपिलेप्सी डे' (National Epilepsy Day 2020) मनाया जाता है.

Photo: Getty Images

मिर्गी के कारण
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हेल्थलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 10 में से 6 रोगियों में मिर्गी के वास्तविक कारण का पता लगा पाना मुश्किल होता है. इंसान कई कारणों से इस बीमारी की चपेट में आ सकता है. दिमाग पर चोट लगने या चोट के निशान रह जाने की वजह से भी अक्सर लोगों को मिर्गी का दौरा पड़ने लगता है.

इन बीमारियों से खतरा
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हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि किसी गंभीर बीमारी, तेज बुखार या कार्डियोवस्क्युलर डिसीज (हृदय रोग) की वजह से भी इंसान को ये बीमारी हो सकती है. किसी भी कारण से हुआ तेज बुखार हमारे दिमाग पर बुरा असर डाल सकता है.

Photo: Getty Images

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स्ट्रोक
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35 साल से ज्यादा उम्र के लोग अक्सर स्ट्रोक की वजह से इस बीमारी का शिकार हो जाते हैं. ब्रेन के एक खास हिस्से तक ब्लड सप्लाई के बंद होने पर स्ट्रोक की समस्या होती है. ये बीमारी इस बात पर निर्भर करती है कि दिमाग के कौन से हिस्से में खून की सप्लाई बंद हुई है.

ऑक्सीजन की कमी
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दिमाग में ऑक्सीजन की कमी होने पर भी मिर्गी का दौरा पड़ सकता है. कई बार ब्लड में ऑक्सीजन की कमी के कारण दिमाग तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है. ऐसी कंडीशन में मिर्गी का खतरा बढ़ सकता है.

Photo: Getty Images

ब्रेन ट्यूमर या अल्जाइमर
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डॉक्टर्स कहते हैं कि ब्रेन ट्यूमर या दिमाग में फोड़ा, डेमेंशिया या अल्जाइमर जैसी बीमारियों की वजह से भी मिर्गी का दौर पड़ सकता है. इसके अलावा एड्स या मैनिंजाइटिस जैसी बीमारियों की चपेट में आने के बाद भी इंसान इसका शिकार हो सकता है.

Photo: Getty Images

नशीली दवाएं
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नशीली दवाओं का सेवन, ब्रेन मैलइंफॉर्मेशन, डेवलपमेंटल डिसॉर्डर, न्यूरोलॉजिकल डिसीज या अनुवांशिक कारणों से भी इंसान को यह बीमारी हो सकती है. 20 साल से कम उम्र में मिर्गी होने का खतरा 1 प्रतिशत से भी कम होता है. जबकि 2 से 5 प्रतिशत लोगों में यह बीमारी जेनेटिक कारणों से भी हो सकती है.

क्या हैं बीमारी के लक्षण
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मिर्गी का दौरा मुख्य तौर पर दो प्रकार का होता है. पहला जनरलाइज्ड एपिलेप्सी (generalized epilepsy) जिसमें दौरा पूरे दिमाग में पड़ता है. ये तब तक पड़ता है जब तक इंसान बेहोश न हो जाए. और दूसरा फोकल एपिलेप्सी (focal epilepsy), जिसमें दिमाग के कुछ हिस्सों में इलेक्ट्रिकल तरंगे दौड़ती हैं. इस बीमारी के लक्षण इसके प्रकार पर ही निर्भर करते हैं.

फोकल एपिलेप्सी के लक्षण
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फोकल एपिलेप्सी में इंसान के सूंघने या चखने की शक्ति में बदलाव आ सकता है. मरीज देखने, सुनने या स्पर्श महसूस करने की क्षमता भी खो सकता है. इसके अलावा चक्कर आना, शरीर में झनझनाहट और अंगों में अचानक मरोड़ आना भी इसके लक्षण हैं.

Photo: Getty Images

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जनरलाइज्ड एपिलेप्सी के लक्षण
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जनरलाइज्ड एपिलेप्सी में इंसान का शरीर एकदम सख्त पड़ जाता है. शरीर में भारी कंपन महसूस होने लगता है. मूत्राशय और आंतों से नियंत्रण खोने लगता है. जुबान दांतों तले दबने लगती है. इसमें इंसान बेहोश भी हो सकता है.

बचाव के तरीके
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इस न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर से बचाव के लिए कई बातें ध्यान रखना जरूरी हैं. पर्याप्त नींद लें. स्ट्रेस मैनेजमेंट सीखें. नशीली दवाओं और एल्कोहल से दूरी बनाएं. तेज चमकती रोशनी से बचें. संभव हो तो टीवी या कंप्यूटर के सामने ज्यादा देर तक न बैठें. मेडिटेशन या कोई एक्सरसाइज जरूर करें.

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