अस्त-व्यस्त जीवनशैली ने एक ओर जहां तनाव दिया है वहीं दूसरी ओर बेडौल शरीर भी. आज के समय में ज्यादातर लोग मोटापे की चिंता से जूझ रहे हैं.
मोटापे की कई वजहें हैं. कुछ लोग जंक फूड ज्यादा खाते हैं, कुछ नियमित व्यायाम नहीं करते हैं तो कुछ में ये हेरेडेट्री होता है. पर इन तमाम वजहों के साथ ही एक ऐसी वजह का पता चला है, जो वाकई चिंता में डालने वाली है.
तनावपूर्ण माहौल में बचपन बिताने वाले बच्चियां आगे चलकर मोटी हो जाती हैं. ऐसे बच्चियां जिन्होंने अपने घर में बीमारी और मौत देखी हो, उनके बड़े होकर मोटे होने के चांसेज काफी बढ़ जाते हैं.
एक नए अमेरिकी शोध के अनुसार, तनावपूर्ण बचपन, युवावस्था के मोटापे के लिए जिम्मेदार होता है. हालांकि स्टडी में ये भी कहा गया है कि ये शर्त केवल महिलाओं के लिए ही लागू होती है. पुरुषों पर किसी भी तरह के तनाव कोई असर नहीं पड़ता है.
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर हुई लियू कहती है कि इस अध्ययन से ये समझने में मदद मिलेगी कि आखिर किस तरह बचपन का तनाव, आगे चलकर मोटापे का कारण बनता है. साथ ही ये भी कि ये परिस्थिति महिलाओं और पुरुषों में अलग-अलग तरह से असर क्यों डालती है.
रिसर्च करने वालों ने एक नेशनल सर्वे के डाटा को चेक किया. जिसमें अमेरिकी लोगों की बदलती जिन्दगी का ब्योरा था. इन लोगों का 15 दिन के भीतर 4 बार इंटरव्यू लिया गया. इस स्टडी में 3,617 लोगों ने हिस्सा लिया. जिसमें 2259 महिलाएं थीं और 1358 पुरुष.
बचपन के तनाव से तात्पर्य 16 या उससे कम उम्र में मिले पारीवारिक तनाव से है. साथ ही आर्थिक तंगी, तलाक, माता-पिता में से किसी का भी मानसिक स्वास्थ्य ठीक न होना भी मोटापे की प्रमुख वजहों में शामिल हैं.
बड़ों में नौकरी चली जाने, किसी बेहद खास की मौत हो जाने जैसी बातों से स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है. स्टडी में कहा गया है कि ऐसी महिलाएं जिन्होंने बचपन में बहुत अधिक तनाव झेला है वे, उन महिलाओं की तुलना में जल्दी मोटी होती हैं जिन्हें कम स्ट्रेस मिला है.
लियू के मुताबिक, बचपन एक क्रिटिकल समय होता है जब आदतें बनना शुरू होती हैं. इन्हीं आदतों का आगे चलकर शरीर और मन पर व्यापक असर पड़ता है. एक ओर जहां महिलाएं ज्यादा खाकर तनाव कम करने की कोशिश करती हैं वहीं पुरुष एल्कोहॉल लेकर.
डिप्रेशन भी खान-पान को खासा प्रभावित करता है. लियू का कहना है कि इस आधार पर स्पेसिफिक क्लिनिकल प्रोग्राम बनाए जाने की जरूरत है.