इस भयानक आशंका पर गौर करें. एक आदमी जिसे एचआईवी एड्स का संक्रमण है, इलाज के लिए डेंटिस्ट के पास जाता है. उसका इलाज करने के दौरान संक्रमण डॉक्टर में पहुंच जाता है और फिर उस डेंटिस्ट से यह संक्रमण किसी ऐसे व्यक्ति में पहुंच जाता है, जो उसके पास अपने दांतों का इलाज करने पहुंचा है.
ऐसा तब होता है, जब इलाज में इस्तेमाल सुई संक्रमित हो और वह उपचार के दौरान टूट जाए. मेडिकल साइंस की भाषा में इसे क्रॉस इन्फेक्शन कहते हैं और इन दिनों भारत की डेंटिस्ट बिरादरी इस समस्या को लेकर चिंतित है.
साल 2011-12 में एचआईवी एड्स इन्फेक्शन के 2.7 फीसदी ऐसे केस सामने आए हैं, जिसमें इस बीमारी के होने की वजह तय नहीं हो पाई. कई मामलों में इसे डेंटल सर्जरी से जोड़ा जा रहा है.
डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य डॉक्टर एके चांदना ने बताया कि निश्चित तौर पर डेंटल सर्जरी की वजह से एचआईवी और एचवीबी के कुछ केस सामने आए हैं.काउंसिल सभी डॉक्टरों को समय समय पर निर्देश जारी करती है. एड्स के मरीजों का इलाज जरूरी है, मगर सावधानी भी बरती जानी चाहिए.
उधर एट्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (नाको) के डायरेक्टर जनरल लव वर्मा ने भी कहा कि यह एक महत्वपूर्ण लेकिन अब तक अनदेखी रही समस्या है.जल्द ही हम अपने प्रचार कार्यक्रम में डेंटल सर्जरी से संक्रमण फैलने की आशंका को शामिल करेंगे.
इलाज में सुई टूटने से एड्स का खतरा
डेंटिस्टों के मुताबिक दांतों का इलाज करते समय जो बारीक सी सुई इस्तेमाल होती है, वह कई बार टूट जाती है. इसके चलते जो मामूली सी दिखती चोट नजर आती है, कई बार वही संक्रमण का कारण बन जाती है. इसी वजह से डेंटिस्ट एचआईवी एड्स के मरीजों के इलाज से घबराते हैं. कई बार तो डॉक्टर उनके इलाज के लिए साफ तौर पर मना भी कर देते हैं.एक सर्वे के मुताबिक ऐसे डॉक्टरों की जमात कुल 32 फीसदी है. इन्हें मल्टी क्रॉस इन्फेक्शन का डर रहता है.