वैसे तो ये बात आपने अपनी दादी और नानी से सुनी ही होगी कि खाली पेट कोई बड़ा फैसला नहीं लेना चाहिए लेकिन अब इस बात की वैज्ञानिक पुष्टि भी हो गई है.
एक शोध में कहा गया है कि जिस वक्त पेट भरा हो, उस वक्त लिए गए फैसले ज्यादा सही साबित होते हैं. शोधकर्ताओं ने इसके लिए ghrelin हॉर्मोन को इसके लिए जिम्मेदार बताया है. ये हॉर्मोन खाना खाने से पहले रीलीज होता है और ये भूख को बढ़ाने का काम करता है. ऐसे में अगर आप कोई बड़ फैसला लेने जा रह हैं तो उसके प्रभावित होने की आशंका बढ़ जाती है.
ये अपनी तरह का पहला शोध है. जिसमें पाया गया है कि जब ghrelin हॉर्मोन का लेवल बढ़ा होता है उस समय हमारा दिमाग जल्दबाजी में फैसले लेने लगता है और ऐसी स्थिति में लिए गए ज्यादातर डिसीजन सही नहीं होते. स्वीडन की यूनिवर्सिटी ऑफ गॉटेनबर्ग के रिसर्चर कैरोलीना के मुताबिक, जब हम भूखे होते हैं तो ये हॉर्मोन रीलीज होता है और इससे हमारे दिमागी स्तर पर प्रभाव पड़ता है.
ये शोध फिलहाल चूहों पर किया गया है जिसे न्यूरोसाइकोफार्माकोलॉजी में प्रकाशित किया गया है.