पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार देश में हर साल क्रोनिक बीमारियों की वजह से 50 लाख से ज्यादा लोगों की जान जाती है. क्रोनिक बीमारियों में डायबिटीज, स्ट्रोक, कार्डियोवास्कुलर यानी दिन से संबंधित बीमारियां, मानसिक रोग, कैंसर और फेंफड़ों की बीमारियां आदि आती हैं.
ऐसे में भारत में पहली बार 'फिस्ट्रोलॉजी थेरेपी' की शुरुआत की गई है जो वैदिक मेडिकल साइंस उपायों पर आधारित है और क्रोनिक बीमारियों को ठीक करने का दावा करता है.
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इसकी खासयित ये है कि इसकी इस्तेमाल से कई गंभीर बीमारियों का इलाज संभव है.
'फिस्ट्रोलॉजी' के अनुसार, मानव मस्तिष्क में 9 डिवीजन होते हैं और वे ज्योतिष में ग्रहों के समान कार्यक्षमता रखते हैं.
ये मानव शरीर के दिमाग पर सीधा असर डालता है, जहां ये मानव शरीर और दिमाग के सीधे संबध काे दर्शाता है.
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जैसा कि बताया गया है कि मानव मस्तिष्क में 9 डिवीजन होते हैं जो ग्रह के समान कार्य करते हैं, उन्हीं में थलमस एक न्यूरोन है, जो मानव मस्तिष्क में मुख्य और मध्य स्थान में होता है, यह न्यूरोन ठीक सूर्य की तरह कार्य करता है. यह सभी अभिव्यक्तियों के अभिन्न गुणों को निर्धारित करता है.
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‘वैदिक ग्रेस फाउंडेशन‘ ने इस वैदिक इलाज की पद्धति 'फिस्ट्रोलॉजी' को भारत में लॉन्च किया है. बता दें 'फिस्ट्रोलॉजी' एक ऐसी वैदिक साइंस थेरीपी है जो हॉलैंड समेत कई अन्य देशों में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
वैदिक ग्रेस फाउंडेशन, विनायक भट्ट के अनुसार इन 9 न्यूरॉन्स की वजह से ही मानव मस्तिष्क पूरे शरीर को नियंत्रित करता है. जब अंग के साथ इन न्यूरॉन्स का समन्वय बिगड़ जाता है तो इसके परिणामस्वरूप संबंधित रोग पनपते हैं. जिसमें मुख्य कैंसर, अवसाद, उच्च रक्तचाप, कार्डिएक अटैक, किडनी रोग शामिल है. जिसका पूरा इलाज भारत में संभव नहीं था.
वहीं वैदिक ग्रेस फाउंडेशन का लक्ष्य है कि वैदिक साइंस की मदद से इन्हीं सभी बीमारियों से लड़ा जा सके. ताकि हमारी सभी पीढ़ियां एक खुश और स्वस्थ जीवन का आनंद उठा सके.
'फिस्ट्रोलॉजी थेरेपी' की मदद से इन बीमारियों का इलाज संभव हो सकता है. इसके जरिये मानव शरीर के 9 न्यूरॉन्स और शरीर के विभिन्न अंगों का समन्वय बिठाकर किसी भी क्रोनिक बीमारी का इलाज संभव हो सकता है.