पतली काया मगर ऊर्जावान, कुछ ऐसी ही छवि है देश के राष्ट्र पिता महात्मा गांधी की हम सभी के मन में. डांडी मार्च करने वाले महात्मा गांधी के पास इतनी ऊर्जा आती कहां से थी. इतनी लंबी दूरी पैदल चलकर तय करना आसान नहीं, फिर महात्मा गांधी ने कैसे कर लिया...
महात्मा गांधी जल्दी बीमार भी नहीं होते थे. उनकी ऊर्जा के पीछे का राज उनकी डायट में छुपा था. महात्मा गांधी कहते थे कि हमारी सेहत, किसी भी महंगे रत्न से महंगी है.
महात्मा गांधी 35 वर्षों तक खानपान को लेकर एक्सपेरिमेंट करते रहे. चूकि महात्मा गांधी ब्रह्मचर्य के नियम का पालन करते थे, इसलिए उनके खानपान में भी इसकी झलक देखने को मिलती थी.
हालांकि गांधी शुरू-शुरू में मीट का सेवन करते थे, लेकिन साल 1906 तक उन्होंने मीट खाना भी छोड़ दिया.
महात्मा गांधी का खाना कुछ ऐसा होता था...
एक लीटर गाय या बकरी का दूध
170 ग्राम अनाज
85 ग्राम पत्तेदार सब्जी
140 ग्राम दूसरी सब्जियां
30 ग्राम कच्छी सब्जी
40 ग्राम घी
60 ग्राम बटर
40 ग्राम गुड़
फल
दो नींबू
स्वाद के अनुसार नमक
गाय का दूध या बकरी का...
गांधी जी पूजी तरह से शाकाहारी थे, इसलिए वो गाय का दूध पीने से भी बचते थे. डॉक्टर का भी कहना था कि गाय के दूध से ज्यादा बकरी के दूध में पोषक तत्व पाए जाते हैं.
बकरी के दूध में गाय के दूध के मुकाबले ज्यादा पोषक तत्व मसलन विटामिन और मिनरल्स होते हैं.
वहीं चीनी की जगह महात्मा गांधी गुड़ का प्रयोग करते थे. इससे ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है.
नींबू में विटामिन बी और सी भरपूर मात्रा में होते हैं. इसके अलावा यह मिनरल्स और कैलशियम व फोस्फोरस, मैग्नीशियम का भी अच्छा स्रोत है. इसमें एंटी एजिंग तत्व होते हैं और यह दिल की बीमारियों से भी रक्षा करता है.